प्यारा साथ तेरा
कितना प्यारा साथ तेरा आज भी रमता है इत्र बनकर
मदहोश कर जाता है चलते-चलते जब भी उसे याद कर
आँखें निठोरी, स्वयं आलिंगन देती है तेरा स्पर्श बनकर
जीवात्मा का संगम ऐसा खींचे चले आते है सर्प बनकर
कितना...
मदहोश कर जाता है चलते-चलते जब भी उसे याद कर
आँखें निठोरी, स्वयं आलिंगन देती है तेरा स्पर्श बनकर
जीवात्मा का संगम ऐसा खींचे चले आते है सर्प बनकर
कितना...