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अनपढ़ गृहिणी
एक दिन एक व्यक्ति बोला- "अक्सर जो गृहिणी पढ़ लिख जाती हैं, वो आगे जाकर घर तोड़ती हैं।"

अब आप सोचेंगे की शायद ये कोई अनपढ़ व्यक्ति होगा। पर नहीं जनाब ये तो हमारे साथ पढ़ने वाले एक विद्यार्थी के उच्च भाव हैं। यही कुछ दो साल बड़े थे हमसे , उम्र और कक्षा में। पर इनकी सोच तो वहीं रूडी वादी रह गई थी।

पहले तो लगा कि बस अपने साथ के लोगो से मज़ाक - मज़ाक में कह दिया होगा।
मुझसे रहा न गया। बोल पड़ी - "अच्छा , एसा क्या?"
मन में अभी भी कहीं उम्मीद थी कि अपनी गलती मान लें वो।
पर उत्तर मिला - "जी हां , एसा ही होता है।"
भगवान की दया से इनकी कोई बेहन न थी। अगर होती तो क्या पता इनकी छोटी सोच को सुन कर न जाने कितना दुखी होती।

अब उनकी इज्जत मेरी नजरो में कम सी हो गई। पहले लगता था उच्च दर्जे वालो की सोच भी ऊची होती है। समय ने यह भी भ्रांति तोड़ दी।

ये विचार किसी अनपड़ के नहीं बल्कि अच्छे खासे पढ़े लिखे कॉलेज विद्यार्थी के हैं। शिक्षा को कितना भी फैला लिया जाए परन्तु इन जैसे लोग का कुछ नहीं किया जा सकता।

आपकी क्या राय है?
© Amitra