...

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एक आवाज सुननी ही पड़ेगी।
हम दूसरी लड़कियों की बहुत तारीफ करते है।
क्या कभी आपने सोचा है ? कि आपके घर में भी एक बहन है उसके अंदर भी बहुत सी प्रतिभाएं छुपी हुई है ।
क्या आपने! उसको पहचानने की
कोशिश की कभी नहीं ना?
हमेशा उसकी गलतियों पे फोकस किया होगा लेकिन कभी काबिलियत पर नहीं। ऐसा क्यूं ! करते है हम लोग इसीलिए ना की हमारी बहन कभी हाईलाइट ना हो जाए लोगो के बीच । नहीं तो चार लोग क्या बोलेंगे समाज में ?
या फिर इसलिए कि कभी कोई लड़का उसको परेशान ना करे उसके बारे में टिप्पणी ना करे इस बात से डरते है ।
और तो और फिर मान सम्मान की बात आती है कि लड़की कभी कुछ ऐसा ना कर बैठे की उनकी फैमिली को शर्म से सिर झुका कर ना चलना पड़ जाए समाज में ये सब विचार उनके अंदर आते है फिर अंतिम बात जो उनको परेशान करती होगी कि शादी के लिए अच्छा लड़का नहीं मिलेगा ।
ये सब भाइयों के विचार होते होंगे अपनी बहन के प्रति ऐसा मुझे लगता है।
लेकिन ये सब है क्या! हमारे मन की विडंबना!
जो अभी तक उस बहन ने कुछ किया ही नहीं पर
फिर भी हम उसके बारे में सोच लेते है अपनी कल्पना मात्र से ही । हम उसको कई बार बुरा भला भी सुना देते है क्यों सुनाते है ताकि वो कभी कुछ करने को सोचे भी ना ।
पहले से ही हम उसकी मानसिकता पर प्रहार कर देते हैं।
जबकि हम सभी को इसका सपोर्ट करना चाहिए किसी को कोई अधिकार नहीं है बुरा भला कहने का क्यूंकि गलतियां सबसे होती हैं आखिर हम इसांन ही तो है। फिर किसी की बारे में कुछ बोलने से पहले खुद के अंदर भी तो देखना चाहिए कि क्या हमने कभी कोई गलती की है?
अगर ईमानदारी से तुमने सच में कभी कोई गलती नहीं की है तो तुम बोल सकते हो किसी को तब अधिकार है तुम्हे नहीं तो यूं ही बेवजह किसी के बारे में कुछ गलत कहने का कोई अधिकार नहीं है सबकी अपनी निजी जिंदगी है वो उसको किस तरह से जीना चाहता है उसको जीने दो। जबरदस्ती का दोषारोपण बिना कोई गलती के उस पर मत थोपो समाज का उदाहरण देकर । जिसका तुम साक्ष्य प्रकट करते हो उसकी अपनी लाइफ है उसकी अपनी परिस्थितियां है हम किसी की किसी से तुलना नहीं कर सकते क्यूंकि हर इंसान अपने आप में विशेष है।
अगर हम किसी की प्रतिभा को उजागर नहीं करने दे सकते तो हमको रोकने का भी कोई अधिकार नहीं है।
अगर हम किसी को प्रोत्साहित नहीं कर सकते ।
तो उसको हम हतोत्साहित भी नहीं कर सकते।
अगर कोई कुछ करना चाहता है तो उसको करने दे रोके नहीं। क्युकी वो कोई गलत काम तो कर नहीं रहा जिसको रोका जाए। हो सकता है कि वो तुम्हारी सोच में गलत हो लेकिन उसकी सोच में नहीं।
अपना नजरिया बदलें ! व्यक्तित्व नहीं!
विश्वास कीजिए एक दिन आपको उसी बात पर नाज़ होगा।
बिना कर्म के परिणाम की कल्पना नहीं कर लेना चाहिए।
2_4 लोगों का उदाहरण देकर आप ये साबित नहीं कर सकते की हर इंसान ऐसा ही हो या फिर ऐसा ही करे।
कृपया आप खुद अपने आप को और सामने वाले को भी समझे । जो अवसर आप ले रहे हो अपनी बहन को भी दीजिए । वो लड़की है इसलिए उसको ऐसा नहीं करना चाहिए ये शब्द बोलकर आप उसके सम्मान , उसके स्वाभिमान और उसके विवेक को आहत ना करें।

© anu singh