यथार्थ
कोई भी व्यक्ति सीखता है आसपास की घटनाओ से , आपबीती से , दुनियाँ के व्यवहार से , रिश्तों के उतार चढ़ाव से ! आखिर भूत भविष्य वर्तमान ही तो आज तय करता है ! एक लेखा जोखा जिस पर एक व्यक्ति अपना हिसाब चलाता होता है वो भी अनिश्चित सा !
एक समय आता है जब डिग्री डिप्लोमा असफल हो...
एक समय आता है जब डिग्री डिप्लोमा असफल हो...