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meri pyaari Nikku Chapter 1
16 अगस्त 2018,
कॉलेज का वो पहला दिन, पटना से दिल्ली का सफर अच्छा था कॉलेज के गेट पे मुझे लेने दो मुस्कुराते हुए 2 लड़के आ रहे थे मैं थोड़ा दूर था पर जब सामने गया तो वो मेरा दोस्त ही निकला रितेश ओर एक दोस्त जो इस कॉलेज मैं मुझे सबसे पहले मिला था ,छात्रावास मे रूम संख्या 310 उसे मिला था पर हम चाहते थे एक साथ रहने का पर किस्मत से नही मिला, मुझे 320 मिला ।
ये पहला पन्ना है और शायद पेहली मुलाकात भी
सबकुछ तो था ही मेरे पास पर एक सच्चे ओर अच्छे दोस्त की कमी थी ओर तुम्हारे आने से ये भी कमी दूर हो गयी क्यों तुम्हें देखकर जी नही भर रहा था इतनी खूबसूरत इतनी प्यारी क्यों लग रही थी तुम,इन लम्हो की एहसास ही कुछ और था ओर सच कहु तो मेरी जान थी तुम।
वो क्लास का पहला दिन मेरी नज़र पहली बार तुम्हे देखकर न जाने क्यों मेरी आंखे तुमपर रुक गयी कुछ देर के लिए ही क्यों मैं तुम्हे देखता रह गया ऐसा क्या था तुम मैं वेसे देखा तो उसे पहली बार अपने क्लास मैं पर फ्रेशर्स पार्टी मैं वो क्या लग रही थी मन को मेरे मानो की मोह रही थी,
पर प्यार कब हो गया निक्कू से पता ही नही चला तुम थोड़ी अलग थी सबसे,ये कहानी उसी निक्कू की है जिससे मेरा रिस्ता ही कुछ अलग था दोस्ती से प्यार का रिश्ता एक जज्बात का रिश्ता एक खूबसूरत सा रिस्ता जो बन गया था मेरे ओर निक्कू के बीच।।
हमारी क्लास स्टार्ट हो गयी थी 20/08/2018 को,कुछ दिनों बाद हमारी ग्रुप बनी जिसमे हमारे क्लास के सभी बच्चे पहले से ही थे,वही से मैंने निक्कू का नंबर लिया वेसे मैं बहोत सारी लड़कियो का नंबर वही से लिया था ओर सभी को मैसेज भी करता था जैसे कि श्रेया, गीतांजलि,ओर अनामिका इनको बहोत मैसेज मेने किया और तो ओर गीतांजलि को फ़ोन कर के भी बहोत बात करता था पर कभी कुछ गलत बात नही बोली ओर न ही गलत किया ओर न तो वो कभी गलत सोची उस समय पता नही था कि वो भी क्लास की टोपर बन जाएगी उसकी आवाज बहोत अच्छी थी, बाकी को भी मैसेज करता था, पर सबसे ज़्यादा बात नही होती थी।।
लिखते हुए मुझे हँसी आ रही है कि क्या दौर थे वो ,आज भी आँशु छलक जाते है जब मैं वो पल को याद करता हु।।
अब मैं अपनी कहानी मैं आता हूं मेरी बात निक्कू से 12/09/18 को हुई मैंने उसे सबसे पहले मैसेज किया तो उसका जबाब भी आया वो पूछी कौन हो तुम तो मैंने बोला मैं सिद्धांत नही पहचानी , तो वो बोली ह याद आया निक्कू को लगता था कि मैं शांत स्वभाव का हु,उसे क्या पूरे कॉलेज को ओर मेरे सहपाठी जो मेरे साथ पढ़ते थे उन सबको को भी यही लगा,तो मैंने भी उसे बोल दिया की मैं शांत स्वभाव का हु,झूट नही बोलता हूं ओर ये सच भी था कि मैं झूट नही बोलता था और ओर थोड़ा शांत और खुशमिज़ाज़ स्वाभाव का था और ये सच भी था,ओर मैं दिल का भी अच्छा हु ये सबको पता था ये सब बातें मैं निक्कू से बोला,
वो बोली ठीक है,,ओर बातें चलती रही सितंबर मैं कोई कॉलेज मैं कार्यक्रम था अधिकतर सभी कॉलेज मैं कार्यक्रम ,प्रोग्राम,रंगमोहत्सव ये सभी चीज होती रहती है ओर हमारे कॉलेज मैं भी हुआ
महज 1 महीना भी नही हुआ होगा ओर हम इतने खुशकिस्मत थे कि हमे ये मौका मिला कि हम ये सब देख पाए मैं खूब आनंद,मस्ती किया खूब झूमा ,खूब चिल्लाया जिसके कारण मेरी गला खराब हो गयी ओर मेरी तबीयत ओर मन भी खराब हो गया मेरा मन उस दिन अच्छा नही था
जिसके कारण मैं कॉलेज नही जा पाया था,
रात को निक्कू पूछी भी क्यों कॉलेज तुम नही आये मैंने सब बता दिया उसे भी अच्छा नही लगा कि मेरी तबीयत खराब हो गयी है उसने पूछा मुझसे की दबाई लिए की नही मैंने बोला ह ले लिया हु फिर मैं सो गया रात को दबा खा कर।।
हमारी दोस्ती की शुरुवात थी और दोस्ती गहरी हो गयी थी,उसकी एक आदत थी कि ह ठीक है
बोलने की हर बात पे,फिर धीरे धीरे हमारी दोस्ती और बढ़ी,एक दिन 24/09/2018 ये बात निक्कू को भी नही पता कि इस दिन मैं नही राकेश बात कर रहा था मैं भी था बगल मैं पर लिख वही रहा था।क्या क्या लिखा सब बताता हूं,.....
राकेश ने कहा कि आप लड़कियों की समझदारी हम लड़को से थोड़ी कम होती है लेकिन हम लड़कों की समझदारी आपलोगो से थोड़ी ज्यादा होती है,निक्कू बोली ऐसा क्यों तो राकेश ने बोला कि ये सब मुझे सपने में पता चला निक्कू फिर बोली अब सच्ची मैं बता भी दो राकेश ने बोला नही मैं नही बताऊंगा निक्कू बोली अब बता भी दीजिए कृप्या कर के,राकेश बोला अच्छा इतना मुस्कुरा के क्यों बात कर रही हो आप,निक्कू बोली मेरी मुस्कुराहट छोड़ए आप बस बता दीजिए आपने ऐसा क्यों बोला....
निक्कू राकेश से विनती करने लगी पर राकेश तो बस युही बात कर रहा था और निक्कू को लग रहा था कि मैं बात कर रहा हु राकेश बोला मुझे प्रभावित करो तब मैं तुम्हें बताऊंगा ,निक्कू बोली आप होशियार हो ,बुद्धिमान हो,अच्छे हो चलो सिद्धांत अब बता भी दो बहोत हुआ निक्कू गुस्सा हो गयी थी फिर मैं समझाया उसके बाद ठीक हुई,बस यही बातें चली ,
निक्कू मुझे खुल कर सब कुछ बताने लगी
एक दिन ब्लड डोनेशन कैम्प लगा उस से पहले मैंने पूछा कि क्या तुम ब्लड दोगी तो निक्कू बोलती है मुझे खुद ब्लड की जरूरत है
ओर जब उसने पूछा कि तेरा क्या ब्लड ग्रुप है तो मैंने बोला B+
ओर जब मैं पूछता हूं तो बोलती है मैं स्लिम हु अब ये क्या बात हुई माना कि तुम अच्छी हो दिखने मैं पर अब क्या बोलू मैं बस यही सब बातें होती रहती थी हमारी पसंद न पसंद सब कुछ
अब तो यादें रह गयी है निक्कू की उसी को याद कर के लिख रहा हु जब भी मैं निक्कू को याद करता हु तो ऐसा लगता है क्लास भी वही है
जगह भी वही है बस मैं नही हु ऐसा लगता है कि निक्कू बुला रही हो की आजाओ वापस जबसे गए हो खुद को खो दिए हो जीना भूल गए हो
अपनी मुस्कान भूल गए हो,पर न वो दिन लौट पायेगा ओर न ही वो मेरी क्लास जहा से मेरी मोहब्बत मेरी दोस्ती की शुरुवात हुई थी।।।