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यह थे जतीन्द्रनाथ मुखर्जी ....
एक ऐसा क्रांतिकारी भी था, जिसका प्लान अगर कामयाब हुआ होता, साथी ने गद्दारी नहीं की होती तो देश 32 साल पहले ही यानी 1915 में स्वतंत्र हो गया होता। जब भय में लोग घरों में भी सहम कर रहते थे, वो अकेला जहां अंग्रेजों को देखता, उन्हें पीट देता था, यह थे जतीन्द्रनाथ मुखर्जी जो साथियों के बीच बाघा जतिन के नाम से प्रसिद्ध थे।

जब उन्होंने अपने क्षेत्र में एक बिगड़ेल घोड़े को नियंत्रित किया तो वह अपनी बहादुरी के लिए आसपास मशहूर हो गये। पिता की मृत्यु के बाद उनकी परवरिश उनके ननिहाल में हुई।अपने मामा के साथ अक्सर उनका मिलना रविन्द्र नाथ टैगोर से होता था, जिसने उनके जीवन को बहुत प्रभावित किया। वो ध्रुव, प्रहलाद, हनुमान और राजा हरिश्चंद्र जैसे रोल नाटकों में करने लगे। इसी दौरान उन्होंने एक भारतीय का अपमान करने पर एक साथ चार अंग्रेजों को पीट दिया। अंग्रेज भी उनसे उलझने से बचने लगे।

कलकत्ता सेंट्रल...