...

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लापरवाही मेरी
आज का दिन मेरे लिए बड़ा ही दूरभाग्य वाला दिन था। आज घर पर किसी दूसरे गांव से जुगाड़ में भरकर भैंस के लिए चारा लाया जा रहा था। अतः मेरे घरवाले मुझे घर पर रहने की सलाह देकर चारा लेने गये थे ।
लेकिन हुआ कुछ यूं की दिन का समय था मैं घर पर ही था। पड़ोस में से ही मेरा एक साथी मेरे पास आया ।
और उसने मुझसे पूछा कि आज तेरे घर पर कोई नहीं है।
तो मैंने बताया कि आज मेरे अपने कहीं दूसरे गांव से चारा लेने गये है।

इस पर उसने कहा -"अच्छा"
मैं बोला - "हां "

"तो फिर चले आज बुग्गे में अर्थात जुगाड़ में मौजी खायेंगे।"- वह बोला।

मैंने कहा -"ठीक है"

और इस तरह हम भरी दोपहरी में ही उस जुगाड़ के आने की प्रतीक्षा में आगे सड़क- सड़क चले गए।

यह सोचकर कि जैसे ही जुगाड़ हमारे पास से होकर गुजरेगा हम उसे पीछे से हथियायेंगे अर्थात उस पर झपट्टा मारकर पीछे लटके हुए मौजी खाते हुए जाएंगे।