...

16 views

चाय और राजनीति
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है।
बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही।
हर दल में सनसनी सी चल रही है,
कोई नहीं देख रहा हाल देश का ,
बस अपनी ही उधेड़ बुन चल रही है।
राजनीति और चाय एक अलग ही रूप ले रही है,
चुनावी दलों के साथ चाय की टपरी भी बदल रही है,
होता था सुबह में जो स्वाद चाय का ,
अब आता है चाय में स्वाद चुनाव का,
लोगो मे है बड़ी चाह अब चुनावी दलों की,
लगता है भूल गए है सब वो बोली दिलों की,
नही लगता होगा कोई समधान इसका,
जीते कोई भी लेकिन होगा नुकसान आपका,
दिलो की चोट गहराती है उन कटी बोलियो से ,
कोई हस कर नही मिलता अब दोस्तो की टोलियों से ,
जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
© VJ