...

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तेरे लिए
उन दोनों ने ऊंचे ख्वाब देखे थे
उन्हें जिंदगी से कभी बहुत कुछ चाहिये था
जिंदगी एक निष्ठुर लेनदेन में
उन्हें सब कुछ देकर एक छोटी सी जिगरी तमन्ना
उनकी जन्मों की प्रार्थना
चुपके से उनसे छीन ले गयी
महज 5-7 सालों में, ये किरदार
धुंध में गुम होकर कहीं दूर
बहुत दूर जा चुके

उड़ते, आवारा, अल्हड बादल
भला कब एक जगह ठहरे हैं
और फिर एक दिन
जब भावों की जमा पूंजी
यादों की संचित लहरें असहनीय हो गई
जब दिल बगावत करते करते
थक कर चूर हो गया
उस दिन एक अनजान समतल पर
अपनी उस इकलौती जिगरी
ख्वाहिश से समझौता कर
बरस गए वे
वो असल शख्सियत,
कायनात के खेल में दम तोड़ चुकी
वो अटखेलियां करते बादल
कोसों दूर, बूंद बन
किसी और धरती में रिस चुके
उसमें घुल चुके,
बाध्य मगर समर्पित भाव से
तानी खुद को पूछने से रोक नहीं पाती
- और वो कहानी ? उसका क्या?
वो कैद रहेगी उस भंवर में, सदियों तक
उन निर्मोही बादलों के इंतजार में
जो कभी नहीं लौटने वाले
जो बस चुके हैं कहीं और
हमेशा, हमेशा के लिये

तानी बात बीच में ही काटते हुए
तपाक से कहती है
- पर स्वेछा से अपने रास्ते
अलग कर लेने वालों के बीच
प्रेम कैसा हो सकता है?
क्या उन्होंने वादे नहीं किये थे
कोई कसमें नहीं खाई थीं?
क्या यही है प्रेम का निर्वाह

औनु ठहरता है, देखता है
उस डायरी को आंख भर
तानी दोबारा वही पूछती है
औनु अकस्मात ही कह पड़ता है
- प्रेम की पूर्णता प्रेम के होने में है तानी
निर्वाह रिश्तों का होता है

तानी हमेशा की तरह फिर से
एक असफल प्रयास करते हुए पूछती है
- कौन थे वो दोनों?
क्या वो जीवित हैं?
क्या उनके बीच कोई भी रिश्ता नहीं था
जिसका वो निर्वाह करें?
वो कैसी अधूरी प्रेम कहानी है
जिसके नाम तुम आज भी
इतनी खुशी से चीयर्स करते हो?

औनु विदा लेते हुए गुनगुनाता है
तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
© शिवप्रसाद