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क्या ऐसा भी होना था? (part 1)
"ये सब क्या है नेहा?"
किसी ने ज़ोर से एक काले रंग कीdiary मेज़ पर पटकी तो मेज़ पर रखा टिफिन box अपनी जगह से खिसक गया।और नेहा जोकि आस पास सब कुछ भुला कर टिफिन पर झुकी खाने से इंसाफ कर रही थी,अपनी नज़रें उपर की जहां नूर सीने पे हाथ बांधे खड़ी थी।और उसे ही घूर रही थी।

"क्या? ये...ये तो diary है।तुम्हारी ही तो है।भूल गई परसों ही तो तुमने खरीदा था।"नेहा को जैसे आश्चर्य हुआ था।

"जी नहीं । बिलकुल भी नहीं। मैं नही भूली हूं कि ये मेरी diary है।और ये भी नहीं की तुमने मिन्नतें कर के ये मुझ से ली थी कि तुम्हें मेरे लिए इस पर कोई massage लिखना है।" नूर अब नेहा के सामने रखी chair पर बैठ चुकी थी।और अब भी नाराज़गी से नेहा को देखे जा रही थी ।

नेहा ने मेज़ पर पड़ी diary को अपनी तरफ खींचा ।और उसके पन्ने उलटने पलटने लगी ।
"हां तो??? massage ही तो लिखा है तुम्हारे लिए ....ये देखो ।"वह पेज खोले नूर को इशारे से दिखा रही थी । जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा था "इक संदेश मेरी उस दोस्त के नाम जिसे जल्द ही उसके सपनों का राजकुमार मिलने वाला...