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बीस से तीस
ये बीस से तीस का उम्र थोड़ा बेईमान है। बाप से बात करने की अदब है नहीं इसे, पर प्रेमिका की खुशामद में कोई कमी नहीं। बाप से बेरुखी का मंजर जो लंबा चल गया तो जिंदगी भर अफसोस के पात्र बना रहे। वैसे भी दोस्त जाते रहें और इसे कोई परवाह है?

तन्हाइयों का सागिर्द बनाता ये जमाना भी कुछ कम नहीं, ऊपर से शहर का माहोल। ये युवा करे भी तो...