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भूतों का अस्तित्व
भूत, प्रेत, साया, डायन आदि पर आप चाहे विश्वास करते हो या नहीं हो लेकिन उनके अस्तित्व को आप पूरी तरह नाकार भी नहीं सकते हैं। यह एक ऐसा विषय है जिसपर काफी बातचीत होती है लेकिन इसका सच केवल वही जानता है जो इसे महसूस करता है। भारत में ऐसे कई स्थान हैं जो होंटेड हैं। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो भूत के होने या उन्हें देखने का दाव करते हैं। आज हम आपके सामने ऐसी ही कुछ घटनाओं को लेकर आएं हैं जिन्हें पढ़ने के बाद शायद डर के कारण आपके रोगेंटे खड़े हो जाए। आपको रात को कितने बजे पानी पीने या वॉशरूम के लिए जगते है? क्या आप हमेशा एक निश्चित समय पर ही जागते हैं? क्या यह समय रात दो से तीन बजे का होता है? अगर हां तो सावधान! कहीं कोई प्रेत-आत्मा आपको रात को सोते हुए तो नहीं देखती जिसके लगातार देखने के कारण आपकी नींद टूट जाती है। रोहन प्रतिदिन रात को दो बजे ही पानी पीने के लिए उठता था। हद तो तब हो गई जब सोने से पहले अच्छी तरह पानी पीने के बाद भी उसे रात को ठीक उसी समय ही प्यास लगने लगी। दिन बीतते गए लेकिन हालात नहीं बदले। पहले तो लगा कि शायद उसका शरीर रात को उसी समय पर जगने का आदी हो गया लेकिन एक रात उसके साथ ऐसा हुआ जिसने उसकी सारी धारणाएं बदल दी। एक रात हमेशा के तरह रोहन पानी पीने के लिए उठा। यह रात थोड़ी अलग थी, क्योंकि यह पूनम यानि पूर्णिमा की रात जो थी। पानी पीने के बाद जैसे ही रोहन ने फ्रीज बंद किया उसके होश उड़ गए, उसके पीछे लगे शीशे में उसे फ्रीज के बगल में एक छोटे बच्चे का साया खड़ा दिखाई दिया। उस साये को देखकर रोहन ने चीखने की कोशिश की लेकिन यह क्या वह चीख नहीं पा रहा था। वह केवल अपने हाथ-पांव चला पा रहा था और उस बच्चे का साय उसके करीब आ रहा था। जैसे-जैसे उस बच्चे का साया करीब आ रहा था, रोहने ने हाथ-पांव को तेज-तेज पटकना शुरु कर दिया जिसकी आवाज सुनकर रोहन की मां आ गई और उसे जगाया। रोहन ने होश में आते ही सारी घटना मां को बताई। घर के अन्य सदस्य भी आ गए। रोहन के भैया ने कहा कि यह स्लीप पैरालिसिस यानि नींद के कारण हुआ था। सुबह आस-पड़ोस वालों ने बताया कि दरअसल इस मकान में पहले एक किरायदार रहते थे जिनका बच्चा फ्रीज से पानी निकालते समय करंट लगने के कारण मर गया था। यह सुनकर रोहन की मां ने उसी शाम हवन कराया। कई पैरानॉर्मल विशेषज्ञ मानते हैं कि रात के समय एक निश्चित समय नींद टूटने का संबंध प्रेत-आत्माओं और मनोविज्ञान से होता है। जब कोई लगातार हमारी इच्छा के विरुद्ध हमें देखता है तो हमारे मस्तिष्क की कुछ तरंगे उसकी ओर आकर्षित होती हैं और हमारा ध्यान भी उसकी तरह चला जाता झै। रात को सोते समय भी ऐसा ही होता है जब दिमाग तो सोना चाहता है लेकिन किसी की नजर के कारण वह नींद पर सही से केन्द्रित नहीं रह पाता, नतीजा हमें जागना पड़ता है। है ना डरावना