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चिट्ठी
#चिट्ठी

(Based On True Story)

लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।

निकिता की सोच की भट्टी लगातार धधक रही थी... चिंता उसे खाई जा रही थी... "पता नही किसने लिखी होगी वो चिट्ठी... कौन होगा इसके पीछे...! पूरा घर काफी दिनों से डिस्टर्ब है...! ये तो अच्छा हुआ की पापा दूसरे शहर में नौकरी करने के वजह से उनको पता नहीं चला है...! वरना... वर्ना तो गजब हो जाता...!

निकिता के पापा जरा ज्यादा पुरानी सोच के इंसान थे...! पर इसका मतलब ये नहीं था की उन्होंने अपनी बच्चियों को किसी तरह की छूट नहीं दी थी...! दोनो लड़कियां ही होने पर पापा - मां से वैसे तो काफी नाराज थे वे दूसरी बच्ची नहीं चाहते थे उसके बावजूद मां की जबरदस्ती से दूसरी लड़की को ना गिराते हुए जन्म दिया था। जबकि पापा की चाहत लड़के की थी..!

लेकिन जब लड़कियां बड़ी होने लगी तो बाप का दिल पिघलना ही था ... दोनों बच्चियां मेधावी निकली... हर मामले में एक से बढ़कर दूसरी... पर अपनी दूसरी बेटी पर वो जरा ज्यादा चिढ़ते थे...! शायद 'नकूशा ' होने की वजह से...!
पर आज पापा की लाडली बेटी 'नीलम' के ही कारनामे से मां तथा निकिता दोनों परेशान हो गई थी..! मां के चेहरे की रंगत उड़ गई थी । दोनों डर के साएं में जी रही थी की कही पापा को पता न चल जाएं....।

सुप्रिया निकिता की बेस्ट फ्रेंड थी, दोनों एक ही स्कूल से पास हुई थी ... दोनों के घर भी दस पंद्रह मिनट की दूरी पर होने से दोनों की दोस्ती अबभी पक्की थी जब की अब दोनों को अलग अलग कॉलेज में दाखला मिला था, किंतु दोनों एक ही कोर्स करने की वजह से अभी भी साथ ही पढ़ाई आदि करती थी । सुप्रिया जिस कॉलेज में पढ़ती थी उसी कॉलेज में निकिता की बड़ी बहन नीलम भी पढ़ती थी.. नीलम सुप्रिया को सीनियर थी तथा दूसरी स्ट्रीम में पढ़ने के कारण वे दोनों आमने सामने कम ही आ पाते थे ।
नीलम दिखने में निकिता से ज्यादा खूबसूरत तथा पापा की लाडली होने से जरा नकचढ़ी बन गई थी, शायद इसी वजह से आज ये नौबत आ गई थी... ।
सुप्रिया और निकिता, दोनों की एक कॉमन मिलने की जगह थी, यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी,...