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कुछ तो नायाब शौक रखिए!🤗🌺🌸
जन्म और मृत्यु के बीच केवल बचपन ही है जब हम अपने मन की करते हैं। बोलना, चलना, गिरना, उठना— सब सीखते हैं। प्रकृति को निहारते हैं। हंसी ठिठोली करते हैं। छुपन-छुपाई, स्टापू, गिल्ली डंडा, गुड्डे-गुड़ियां, घर- घर न जाने क्या क्या खेलते हैं। चित्रकारी करते हैं, साइकिल चलाते हैं, सुर में या बिना सुर के गीत गाते हैं। चेहरे पर मुस्कान और मासूमियत बनी रहती है।🤗🌺

किंतु ज्यों ज्यों हम बड़े होते जाते हैं, हम तरह तरह के आवरण ओढ़ लेते हैं।हमें परिपक्व यानी mature बनने और दिखने के लिए कहा जाता है।हम कैरियर, मकान दुकान, विवाह , पैसा, लोन आदि के चक्कर में ऐसे फंसे जाते हैं कि हम भूल जाते हैं कि खुशियां तो बेहद छोटी छोटी...