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Nikku chapter no.12
निक्कू ये शाम भी तेरी है और तू भी
शाम होते ही दिल उदास हो जाता है,
सपनों के सिवा ना कुछ खास होता है.
आपको तो बहुत याद करते हैं हम,
यादों का लम्हा मेरे लिए कुछ खास होता है .
सुभ संध्या निक्कू ओर बताओ निक्कू क्या कर रही हो निक्कू हँसने लगी और बोली अच्छा लिख लेते हो पर उसे क्या पता हर शायरी मेरी नही होती पर हर शायरी की बातें उसके लिए होती है,ये मेरी मोहब्बत की शुरुवात थी जो भले ही एकतरफा थी अधूरी थी पर जो भी थी मेरी थी और मुझे कोई नही रोक सकता था क्योंकि ये मेरी मोहब्बत थी।ओर एक खुद की लिखी हुई शायरी अर्ज करता हु--लोग कहते है मोहब्बत धोका हैपर ऐसा नही है मेरे दोस्त प्यार तो प्यार है
करने से किसने रोका है,कुछ बातें हुईं हमारी कुछ देर बाद मैं निक्कू से पूछा निक्कू सुनो न निक्कू बोली क्या मतलब,ह बोलो न मैंने कहा ये अनामिका का स्वभाव कैसा है,निक्कू बोली वेसे क्यों पूछ रहे हो बताओ वेसे स्वाभाव की बात करे तो पुरा बकवास,मुझे नही पसंद है वो क्योंकि वो पागलो वाली हरकते करती है,हँसते रहना और उसका मन एक जगह नही रहता है,अच्छा ये सब छोरो मुझे उसके बाड़े मैं नही बात करनी है निक्कू पूछी मुझसे,हुआ क्या तुम बताये नही,मैंने बोला अरे कुछ नही यार बस ऐसी कोई बात नही है निक्कू बोली बता जल्दी मैंने बोला निक्कू मैं अनामिका को बस एक मैसेज लिखा था और उधर से बहुत गंदा गाली आयी,निक्कू इतना हँसने लगी मैं बोला यार चुप हो जा मत मजाक उड़ा मेरा वो बोली ओर मैसेज करो उसको मैं कहा छोड़ो हटाओ कुछ और बात करते है वेसे मैग्गी खाती हो,निक्कू हँसने लगी और कहि मेरे पास कैची नही है ये बोल कर हसने लगी मैं कुछ समझा नही वो क्या बोल रही थी फिर बोला तो खाओगी कैसे वो बोली अरे पागल कांटा से।।कुछ देर बात हुई उसके बाद मैं चला गया नास्ता करने,रात को निक्कू से बात हो रही थी अचानक वो बोली की मैं अकेली महसूस कर रही हूं मैंने कहा क्यों क्या हुआ निक्कू मैं हु न
निक्कू बोली पर तुम मेरे रूम मैं नही हो न ,मैं बोला अच्छा तो अगर रहता तो क्या होता
निक्कू बोली कुछ नही होता मैं जा रही हु सोने बाद मैं बात करूँगी अरे रुको न निक्कू इतना जल्दी जा रही हो सोने वेसे भी आज मौसम मैं अजीब खुमारी छाई है न जाने आज क्यों मेरे मन तेरे पर आई है,मैं वेसे भी उस दिन खुस था न जाबे क्यों,निक्कू हँसने लगी फिर बोली ह ठीक है
तुम्हे आना है ना तो मेरे छात्रावास के नीचे आकर दिखाओ निक्कू हस भी रही तो ओर बोल भी रही थी मैं पागल सच मे उसके छात्रावास के नीचे आ गया और खिरखी ढूंढ रहा था,ओर ये बात निक्कू को नही पता है कि मैं गया था पर यहा तो प्यार वाली मजाक चल रही थी।
वेसे निक्कू ओर मेरी पसंद पूरा मिलने लगी थी और सब कुछ मेरे छात्रावास ओर उसका थोड़ा दूर था पर जब हम कॉलेज जाने के लिए निकलते थे तो मंजिल से पहले हमेशा टकरा जाते थे वो अपनी पलको को झुका कर आगे बढ़ जाती थी क्योंकि वो भी जानती थी अगर आंख मिल जाएगी तो मुझे हँसी ओर सायद वो भी हँसने लगेगी,वेसे भी आमने सामने बहोत कम ही बात होती और कम बात होते हुए भी चर्चे हमारे ही होते थे कि हम एक दूसरे को प्यार करते थे पर ऐसा तो बिल्कुल नही था हम बस एक अच्छे दोस्त थे,कभी ऐसा भी होता था कि मैं उसे कॉलेज के बाद रास्ता मैं रोकने की कोशिस करता था पर वो नही रुकती थी और निक्कू गुस्सा हो जाती थी जाने लगती थी मैं बोलता था 2 मिनट ही रुक जाओ बात कर लो पर न जाने क्या जल्दी रहती थी उसे आजतक नही पता चला मुझे मैंने कहा रुक जाओ न बात करना है की आज रुक जाओ न हमे अच्छा लगेगा,इस बेबाक़ समुन्दर को सुनते है हमे अच्छा लगेगा जाना जरूरी है क्या बहोत मजबूरी है क्या सीने से लगा कर जाओ न की तुम्हे भी मुझसे इश्क़ है
ये कह कर जाओ न।।