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जादुई पर्स
यह कहानी के शुरू होने से पहले जादुई पर्स के बारे में जानना जरूरी है। ये पर्स पैसों से भरा रहता था, कभी खाली नहीं होता था। सुबह पैसे निकालने के बाद अगली सुबह पैसों से भर जाता था लेकिन अगर जिस के पास ये पर्स है उसके इलावा कोई दूसरा पर्स को देखता या खोलता ये पर्स खाली हो जाता था। दोबारा नहीं भरता था ये पर्स कभी एक हाथ तो कभी दूसरे हाथ जाता रहता था।
राजीव अपने माता पिता के साथ शहर में रहता था। घर का गुजारा उसी के सिर था। काम की तलाश में कभी यहां कभी वहां । घर के गुजारे के लिए छोटा मोटा काम भी जरूरी था इसलिए जहाँ काम मिलता वो कर लेता था ।
हुआ एक दिन यूँ राजीव रात को काम से घर लौट रहा था, तो उसे रास्ते में पैसों से भरा पर्स मिला। पहले वो यहां वहां देखता रहा लेकिन कोई नहीं आया तो फिर वो पर्स अपने साथ ले आया और घर में किसी को बताए बिना पर्स अलमारी में छुपा रख दिया ।
अगले दिन काम से लौटते समय राजीव वही गया जहाँ से पर्स मिला था । उस दिन भी कोई नहीं था । एक हफ्ते तक राजीव सुबह और शाम वही जाने लगा जहाँ पर्स मिला था, ताकि अगर किसी का पर्स हुआ तो वापिस कर देगा। ऐसे ही एक महीना बीत गया, पर्स लेने कोई नहीं आया।
राजीव ने मन बना लिया की अब वो पैसों का प्रयोग करेगा जो पर्स में है। राजीव ने रात को पर्स में से आधे पैसे निकाल लिये और अगले दिन खर्च कर दिए घर का समान और अन्य जरूरी चीजों में लगा दिये। कुछ दिन बाद फिर जरूरत महसूस हुई, उसने फिर पैसे निकाल लिए उसने सोचा था कि अब पैसे खत्म होने वाले हैं लेकिन पर्स फिर भरा हुआ था। उसे कुछ समझ नहीं आया रात का समय था शायद नींद की वजह से ऐसा हुआ, वो ऐसा सोच रहा था
सुबह उठ कर दोबारा उसने पर्स देखा पर्स फिर भी भरा हुआ था ।
एक समय वो डरा हुआ था और एक समय वो खुश भी था। उसने पर्स से पैसे निकाल लिए और अपने साथ ले गया और पर्स वही छुपा गया । उसने वो सब पैसे खर्च दिए अगले दिन सुबह फिर देखा तो पर्स भरा हुआ था। अब उसकी खुशी दोगुनी हो चुकी थी अब वो घर भी पैसे देने लगा था राजीव ने अपने माता पिता को घूमने के लिए भेजा नए कपड़े दिलाये ज़रूरतें बड़ने के साथ-साथ राजीव ने वो पर्स से रोज पैसे लेने शुरू कर दिए ।
इतना पैसा देखने पर घर वालों को शक हुआ, कहीं राजीव कोई गलत काम तो नहीं कर रहा ।एक दम से घर के हालात बदलना उनके लिए बिल्कुल नया था। राजीव के माता-पिता ने उस पर नजर रखनी शुरू कि लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला ।
एक दिन उसकी माता ने राजीव को पर्स में से पैसे निकालते हुए देखा, लेकिन वो पर्स नहीं देख पाई इस बारे मे उसकी माँ ने उसके पिता से बातचीत की दोनों ने सोचा कि राजीव के पास इतना धन कहां से आ रहा है । उन्होंने फैसला किया की जब राजीव कल काम पर जाये तो उसकी अलमारी को खोल कर देखा जाये राजीव सुबह पर्स में से पैसे ले कर सुबह चला गया। उसके जाने के बाद उसके माता-पिता ने कमरे को अच्छे से टटोलने लगे लेकिन उनके हाथ कुछ ना लगा। फिर उन्होंने अलमारी खोली सारा सामान उल्ट दिया उन्हें वो पर्स दिखाई दिया जो खाली था और उन्होंने उसे अच्छी तरह खोल कर देखा उन्हें कुछ ना मिला
सारा सामान फिर से लगा दिया गया जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
राजीव शाम को घर आया पहले वाली दिनचर्या थी, सुबह उठा अलमारी खोली लेकिन पर्स में कुछ नहीं था। राजीव को झटका लगा की ऐसे कैसे हुआ कुछ दिन रोज पर्स को सुबह देखा गया, लेकिन वो खाली था । काफी सोचने के बाद राजीव ने खुद से कहा कि उसने बहुत सारे पैसे निकाल लिए है, शायद इस वजह से ये पर्स खाली हो चुका है किसी काम का ना लगने की वजह से राजीव ने वो पर्स वही गिरा दिया जहाँ से उसको मिला था ।
धीरे धीरे घर की स्थिति पहले जैसे होने लगी,
अगले दिन राजीव ने काम से लौटते समय वो पर्स गायब पाया और कुछ दिन बाद उसने अपने एक दोस्त की परस्थितियों को बदलते हुए देखा । राजीव समझ गया था यह सब पर्स का जादू है राजीव को दुख था की पर्स उसके दोस्त के पास है लेकिन खुशी भी थी की पर्स काम कर रहा है।
कुछ दिन बीत जाने के बाद राजीव अपने दोस्त के घर गया और वो पर्स ढूंढ निकाला। पर्स को देख और खोल कर वही रख दिया पर्स ने पैसे देना बंद कर दिया । राजीव के मित्र ने पर्स को वही गिरा दिया जहाँ मिला था। अगले दिन राजीव ने पर्स उठा लिया और दोबारा अपने घर ले आया। राजीव खुश था की दिन बदलने वाले हैं वो अमीर होने वाला है ।
वो पर्स रख कर सो गया, सुबह उठा तो देखा पर्स खाली ही था । उसे बहुत आघात लगा अब वो पूरी तरह पर्स की जादुई शक्ति को समझ चुका था। फिर उसने फैसला लिया की वो पर्स को कहीं गरीब के घर के बाहर गिरा देगा । जिससे किसी का तो जीवन कुछ ठीक होगा ।अगली ही सुबह राजीव ने पर्स को एक गरीब बस्ती में गिरा दिया जो एक अच्छा फैसला था ।

©veevek