दिल और दिमाग़ की कश्मकश..
सोचते रहते हैं हम अक्सर, दिमाग़ से और दिल
की चलने ही नहीं देते हैं, तभी शायद चाहते हुए भी, हम प्यार को मुकम्मल नहीं कर पाते हैं और ख़ुद से ही, जूझते रह जाते हैं, ज़िन्दगी की, उधेड़बुन में, अपनी ही चाहतों को दरकिनार करके।
क्या ऐसा आपके साथ भी होता है, या कभी हुआ है, ये दिमाग़...
की चलने ही नहीं देते हैं, तभी शायद चाहते हुए भी, हम प्यार को मुकम्मल नहीं कर पाते हैं और ख़ुद से ही, जूझते रह जाते हैं, ज़िन्दगी की, उधेड़बुन में, अपनी ही चाहतों को दरकिनार करके।
क्या ऐसा आपके साथ भी होता है, या कभी हुआ है, ये दिमाग़...