बचपन का वादा
CHAPTER 21
आरव अपना फोन खोजते हुए अपने कमरे से निकलता है और खुद से बोलता है पापा ने जरूर अपने पास रखा होगा मुझे पापा के कमरे में
देखना होगा ।आरव जब अपने पापा कमरे की तरफ जाने लगता है ।वो अपने पापा के कमरे पर पहुंच कर देखता है की उसके पापा मम्मी
उसके बारे मैं बात कर रहे थे।वो धीरे से कमरे के बाहर होकर अपने पापा का बात सुनता है ।उसके पापा अपनी पत्नी से बोलता है तुम्हे क्या
लगता है मुझे आरव को दूर भेजकर अच्छा लग रहा है ।उसका फोन छीनकर , घर से बाहर न निकलने देकर तुम्हे पता भी हमारे कितने
दुश्मन है जो आरव को कंपनी के वजह से नुकसान पहुंचा सकते है।मैं उसे दूर इसलिए भेज रहा हूं की वह इन हालातो से दूर रहेगा और
बाहर जाकर पढ़ेगा तो वह एक बड़ा आदमी बनेगा ।वह समझ जायेगा की क्या गलत है क्या सही जिसमे वह कुछसे सही फैसला ले पाएगा ।
उससे दूर भेजकर तुम्हे पता भी मुझे कितना तकलीफ हो रही है लेकिन उसका अच्छा फ्यूचर के लिए जो अच्छा होगा मैं वो सब करूंगा।
आरव को सारे मुसीबत से दूर रखूंगी इसलिए उसे अबरोड जाकर पढ़ना ही होगा। यह सब बातें सुनकर उनकी पत्नी बोलती है मुझे नहीं पता
था आप अपने बेटे से मुझसे ज्यादा प्यार करते हैं। यह सब बातें सुनकर आरव के आंखों में आंसू आ जाता है ।वह सोचता है मैं कितना गलत
था ।मैं अपने पापा को कितना बुरा समझ रहा था। मैंने सोचा अपना फायदा के लिए वह मुझे अबरोड भेज रहे हैं ।इतना सब कुछ हो रहा था
कंपनी में मुझे पता भी नहीं था। (सच कहते हैं लोग ।एक बच्चे लोग को जब नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं जब तक उनका साया अपने
माता-पिता का हो ।चाहे वह बच्चे बड़े क्यों ना हो जाए ।वह हमेशा से उनके लिए एक बॉडीगार्ड या बोलिए मार्गदर्शन बनकर हमेशा साथ देते
हैं। वह हमे छोड़ के के बाद भी इतना काबिल बन जाते हैं कि उनके बच्चे के लिए क्या सही है क्या गलत है वह खुद जान पाते हैं। इसलिए
माता-पिता का स्थान कोई भी नहीं ले सकता चाहे वह भगवान क्यों ना हो।) आरव अपने कमरे में जाकर अपना रूम का दरवाजा बंद करके
बेड पर बैठकर कुछ सोचने लगता है। फिर अपना मम्मी पापा का तस्वीर...
आरव अपना फोन खोजते हुए अपने कमरे से निकलता है और खुद से बोलता है पापा ने जरूर अपने पास रखा होगा मुझे पापा के कमरे में
देखना होगा ।आरव जब अपने पापा कमरे की तरफ जाने लगता है ।वो अपने पापा के कमरे पर पहुंच कर देखता है की उसके पापा मम्मी
उसके बारे मैं बात कर रहे थे।वो धीरे से कमरे के बाहर होकर अपने पापा का बात सुनता है ।उसके पापा अपनी पत्नी से बोलता है तुम्हे क्या
लगता है मुझे आरव को दूर भेजकर अच्छा लग रहा है ।उसका फोन छीनकर , घर से बाहर न निकलने देकर तुम्हे पता भी हमारे कितने
दुश्मन है जो आरव को कंपनी के वजह से नुकसान पहुंचा सकते है।मैं उसे दूर इसलिए भेज रहा हूं की वह इन हालातो से दूर रहेगा और
बाहर जाकर पढ़ेगा तो वह एक बड़ा आदमी बनेगा ।वह समझ जायेगा की क्या गलत है क्या सही जिसमे वह कुछसे सही फैसला ले पाएगा ।
उससे दूर भेजकर तुम्हे पता भी मुझे कितना तकलीफ हो रही है लेकिन उसका अच्छा फ्यूचर के लिए जो अच्छा होगा मैं वो सब करूंगा।
आरव को सारे मुसीबत से दूर रखूंगी इसलिए उसे अबरोड जाकर पढ़ना ही होगा। यह सब बातें सुनकर उनकी पत्नी बोलती है मुझे नहीं पता
था आप अपने बेटे से मुझसे ज्यादा प्यार करते हैं। यह सब बातें सुनकर आरव के आंखों में आंसू आ जाता है ।वह सोचता है मैं कितना गलत
था ।मैं अपने पापा को कितना बुरा समझ रहा था। मैंने सोचा अपना फायदा के लिए वह मुझे अबरोड भेज रहे हैं ।इतना सब कुछ हो रहा था
कंपनी में मुझे पता भी नहीं था। (सच कहते हैं लोग ।एक बच्चे लोग को जब नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं जब तक उनका साया अपने
माता-पिता का हो ।चाहे वह बच्चे बड़े क्यों ना हो जाए ।वह हमेशा से उनके लिए एक बॉडीगार्ड या बोलिए मार्गदर्शन बनकर हमेशा साथ देते
हैं। वह हमे छोड़ के के बाद भी इतना काबिल बन जाते हैं कि उनके बच्चे के लिए क्या सही है क्या गलत है वह खुद जान पाते हैं। इसलिए
माता-पिता का स्थान कोई भी नहीं ले सकता चाहे वह भगवान क्यों ना हो।) आरव अपने कमरे में जाकर अपना रूम का दरवाजा बंद करके
बेड पर बैठकर कुछ सोचने लगता है। फिर अपना मम्मी पापा का तस्वीर...