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वैशया के सवालो से घुमे स्त्री योग के काल चक्र।।
आइए देखते हैं कि एक "स्त्री" के बोलने से कैसे कैसे घूमा कालचक्र और क्या है वैशया शब्द और कैसे आपजनक है ये लोग और क्या सच्चे मे वैशया का यह सही है कि यह वसनालोग है जो कि स्त्री से की उत्पन हुआ है दरअसल स्त्री के किस अंग का क्या महत्व है और क्या चरित बहुत ही कम लोग जानते हैं मगर आजकल हमारे समाज में सत्री को एक कू दृष्टि से देखा जा रहा मगर क्या यह अभी से है अगर हम यह कह सकते हैं तो ये तो असत्य है।।
क्योंकि दृष्टि का अन्त जब भी आएगा तो सबसे स्त्री का नामोनिशान मिट जाएगा।। क्योंकि गाथा में कहा गया कि कटु है मगर सत्य है कि इस्त्री की योनि से जन्मी है श्रृष्टि तो उस योनि का अन्त ही कलियुग होगा और कलियुग कैसे स्त्री युग पर भारी होगा।। आइए देखते हैं और जानते हैं और समझते हैं -तो उस एक वैशया को एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त का वास्तविक उद्देश्य यह है कि हम आज संसार कहा और कैसे एक प्रेम गाथा ना रचकर एक वसना में अग्रसर बडता की जा रहा है।। और एक प्रेम रस की जगह एक असम्भव वासना माला बुन ती ही चली जा रही है।।
#वसना बीच
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