...

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पता नहि....
पता नही!!!

पता नही क्या हो रहा है?
पता नही क्या चल रहा है?
पता नही लोग "इंसान" क्यों नही रहे

बेटा मां को मार रहा हे,
बाप बेटी पे नज़र बिगाड़ रहा है,
भाई बहन की जान ले रहा हे,

बोल रहे हे "विकास" हो रहा हे,
इस को विकास बोलते हे तो...,
तो " ह्रास " किसे कहते हे,

"कलयुग चल रहा हे ऐसा तो होगा ही"
क्या सब कुछ कलयुग के नाम पे करना सही हे???
क्या कलयुग होने से हमे कुछ भी करने की छूट मिल जाती हे?

सोच के सोचिए
क्या ये "कलयुग" की वजह से ही
ये हो रहा हे???

या...

हम ने ही खुद को इतना नीचे गिरा दिया ही की...

भगवान "कल्कि" भी जन्म लेने को डर रहे हे।

वो भी सोच रहे होगे की इन लोगो को मारने की क्या जरूरत हे,
जब वो लोग खुद ही खुद के दुश्मन बना गए हे,

"राक्षस" भी सोच रहे होगे की,
कितना अच्छा हुआ की हम "इंसान" नही हे,
क्योंकि हम इतना नही गिर पाते।

© Ajinkya