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alfaz
चलो जल्दी-जल्दी चलो हम अभी पूछेंगे, तुम अभी दर्द सहन कर लो, हम अभी पूछेंगे अस्पताल। बस, धन्यवाद, डॉक्टर ये मेरी पत्नी है इसकी डिलीवरी आज होने वाली है प्लीज डॉक्टर कुछ करिए प्लीज। नर्स कृपया patient को अंदर लेकर जाएं हम आपकी पत्नी की डिलीवरी करेंगे, आप चिंता मत करिए। शुक्रिया डॉक्टर।
कुछ घण्टे बाद
(बच्चे की रोने की आवाज आती है)ये लीजिए सर आपको बेटी हुई है मुबारक हो सर, धन्यवाद मैडम। मेरी प्यारी बेटी. डॉक्टर सुनिये, क्या मैं अपनी पत्नी से मिल सकता हूँ? जी, जरूर जाइये वो आपका इंतजार कर रहे हैं। धन्यवाद डॉक्टर, बहुत बहुत धन्यवाद। नंदिनी देखो हमारी बेटी बिल्कुल तुम्हारी तरह है खुबसूरत सोते हुए कितनी प्यारी लग रही है। नहीं सुभाष वो बिल्कुल तुम पर गाई है सुंदर और मन मोहक छवि है हमारी बेटी की।
अगली सुबह
चलो नंदिनी घर आ चुका है नीचे उतरो। (गाड़ी का दरवाजा खोल कर नंदिनी नीचे उतरती है) आओ नंदिनी चलो अंदर चलो इसे अभी आरती तो कर ही नहीं रुको बेटा मैं अभी आरती की थाल लेकर आती हूं, (आरती हो जाने के बाद नंदिनी और सुभाष दोनों घर के अंदर जाते हैं) है)।

(नंदिनी और सुभाष दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहते हैं और अपनी बेटी का नाम तपस्या रखते हैं उनकी जिंदगी एक दम सही चल रही थी और उनकी बेटी भी धीरे-धीरे बड़ी और, और भी खूबसूरत होती जा रही थी पर उसकी जिंदगी धीरे-धीरे -धीरे-धीरे बदल रही थी उसके दादा जी जिहे वो सबसे ज्यादा प्यार करती थी वो अब इस दुनिया में नहीं थे। तपस्या की मम्मी और दादी जी के बीच मैं बहुत लड़इयां होने लगी और इन सब बातों का असर तपस्या के बचपन पर होने लगा उसकी दो बहना जो उसके साथ रहती थी वो उसके साथ कभी प्यार करती थी तो कभी बड़ी बेहरहमी से प्यार करती थी वो अपनी जिंदगी को बोझ समझने लगी पर एक दिन उसकी जिंदगी मैं कुछ ऐसा हुआ जो शायद वो कभी नहीं भूल पायेगी वो एक याद खराब कर उसके ज़ेहन मैं बस जाएगा)।

(तपस्या अपने दोस्त से बातें करते-करते अपने घर की छत पर चली गई वहां एक लड़का अपने घर की छत पर खड़ा था और जब तपस्या अपने दोस्त से बात कर रही थी तो वो बात-बात पर उसे ही देख रहा था)


यार तपस्या देख तेरा काम हो गया ना अब मैं भी काम कर लूं, ठीक है यार निशा तू कर ले काम अब मेरे पास बात करने को तेरे सिवा कोन है बाबूबोशाए अब मेरे सामने एक बंदा बेलकोनी पर खड़ा है अब मैं उससे तो बात नहीं कर सकता क्योंकि ना इसलिए तुझसे बात कर रही हूं, चल ठीक है तुझे काम करना है तो कार्ले। अलविदा! ठीक है अलविदा!

(तपस्या ने फोन कट कर दिया और पानी पीने किचन में चली गई जब वो पानी पी रही थी तो उसने देखा कि जिस इंसान के बारे में मैं वो अपनी दोस्त निशा से बात कर रही थी वो इंसान तो अंदर कमरे में चला गया मगर जो बच्ची के साथ वो खड़ा था वो बची बालकनी पर खड़ी थी उसने उसे देखा और कहा)।
बीटा एपीके घर में कोई बड़ा है क्या अगर है तो उन्हें बुलाकर लाओ (वो छोटी बच्ची बोलती है अभी बुलाकर लाती हूं वो जाती है और अपने मामा को बुलाती है उसका मामा बोलता है) क्या हुआ बेटा,
(तपस्या बोलती है) माफ कीजिए आप जानते हैं आप अंदर हैं और ये एपीकी (वो बीच में बात काट कर बोलता है मेरी भतीजी है) हां ठीक है पर आप इसे यूं अकेला छोड़ कर अंदर क्यों चलेंगे आपको मालूम है वो बालकनी से गिर सकती है थी
(उसने कहा मैं सोने चलेगा) तपस्या ने उसकी बात काटकर कहा, के सोने चलेगया से आपका क्या मतलब है कि ख्याल रखिये उनका मैं नई देखती तो ना जाने क्या होजाता उसके साथ आज।सावधान रहें!
(ये बोल कर तपस्या किचनके अंदर चली गई। कुछ देर बाद उसने देखा के उसे ऐसे बोलने के तरीके से उस लड़के का चेहरा उतार दिया उसने सोचा के शायद उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया है इस लिए वो वापस बालकनी पर गई और उसने हमें शक्स से कहा माफ़ी माँगी)
ज़रा सुनिये – जी मुझे माफ़ कर दीजिये मैंने कुछ ज्यादा ही बोल दिया मैं आपकी भतीजी को लेकर कुछ ज्यादा ही टेंशन मैं आ गई थी इसके लिए मैंने आपको खादी खोटी सुना दी मुझे माफ़ कर दीजिये।
(दूसरी तरफ से वो शक्स कहता है "कोई बात नहीं" मगर वो फिर भी माफ़ी मांगती रहती है और इसी तरह से तपस्या की जिंदगी मैं एक शक्स ऐसा कहता हूं जो पूरी दुनिया को खुशी देना चाहता था। तपस्या ने उसे उसका नाम पूछा तो उस शक्स ने कहा मेरा नाम राघव है) (तपस्या और राघव एक दिन में ही एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए ये सब इतनी जल्दी हो रहा था कि तपस्या को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था फिर इसी बीच राघव ने अपना दिल की बात तपस्या से केह दी और रिश्ता दोस्ती से ज्यादा और भी कुछ बनने लगा धीरे-धीरे तपस्या राघव के करीब तो आ रही थी पर वो खुद से दूर होती जा रही और सारे दर्द उसके करीब आते जा रहे थे एक दिन उसे पता चला के राघव उसे मिलने के लिए आ रहा है)
“हाय राघव” ऐसे हो तुम।
"मैं ठीक हूं तपस्या" सुनो मैं तुमसे मिलने आ रहा हूं।
"क्या" सची आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, वे भी मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी। चलो बाद में बात करते हैं।

(राघव तपस्या से मिलने जा रहा था जैसे ही वो वहां पर पूछता है, तपस्या के घर पर कॉल कर देता है जो उसके पापा उठाते हैं और उसके बारे में मैं पता चलता ही वो तपस्या का फोन इस्तेमाल करना बंद कर देता है।)
(सब बातों की खबर में राघव को नहीं थी और उसने सोचा तपस्या ने उसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं इस बात को 15 साल बीत जाते हैं तपस्या राघव से मिलने की उम्मीद मैं खोई रहती है और जब 15 साल के बाद। उसके मम्मी और पापा को उसकी हालत के बारे में मैं पता चलता है तो उससे बात करते हैं और तपस्या उनको वो सारी बातें बताती है जो उसके साथ 15 साल पहले हुआ था ये सब जन्म के बाद तपस्या के माता-पिता ने उसे राघव से मिलवाया था कि थान ली और राघव का पता लगाया के वो कहाँ रहता है उसके ठिकाने का पता चलने पर नंदिनी और सुभाष तपस्या को उसके पास लेकर जाते हैं)
जरा सुनिए घर में कोई है। जी कहिए आपको किससे मिलना है (राघव की मां बोलती है) जी हमें राघव से मिलना है क्या वो है।राघव तुमसे कोई मिलने आया है।
(राघव ऊपर से आवाज देकर बोलता है "अभी आता हूं मां" राघव की मां तपस्या और उसके माता-पिता को घर के अंदर बिठाती है और इतने में ही राघव आला अपनी पत्नी को जब तैयार हो जाओ तो आला आ जाना ये बोलकर आला आ जाता है .देख कर तपस्या उसे गले लगा लेती है और इतने में राघव की पत्नी तयार होकर निचे आजाती है। वो तपस्या को देख लेती है कि उसने राघव को गले लगा रखा है वो निचे उतर कर पूछती है ये कौन है राघव और तपस्या ये सूरज कर राघव से दूर हो जाती है।राघव अपनी पत्नी के तरफ देख कर कहता है ये मेरी पत्नी है कीर्ति।ये सूरज कर तपस्या की आंखों में आंसू आ गए और वो कीर्ति के तरफ देख कर बोलती है मैं राघव की दोस्त हूं।और ये बोलकर वो घर के बाहर चली गई। नंदिनी और सुभाष तपस्या के साथ बाहर आकर उसे पूछते हैं)
तपस्या तुमने ऐसा क्यों किया तुम्हें सब सच बता देना चाहिए था वो तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकता है।
(तपस्या ने कुछ भी नहीं सुना और आगे चली जा रही थी उसके मां बाप ने उससे पूछा तो उसने सिर्फ इतना कहा)

वो दोस्ती मैं दिखावा ना मिला
गले नहीं मिल सकता तो हाथ भी नहीं मिला
खुदा की इतनी बड़ी कायनात मैं बस एक शक्स मंगा था
मुझे वो भी ना मिला...

(क्योंकि वो जानती थी के उसके अल्फाज हैं जो कोई ना समझे)।
© zindagi