...

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प्यार
काश मैं भी पंछी होती
कम से कम ख़ुद को
न खोती,,

दाना चुनती,साथउन्हीं
के,उन्हीं पे सर रखकर
मैं सोती,,

जब मर्ज़ी होती दोनो
की,रख देती मैं पंख
खोल के,,

ह्म ह्म में बात बने तो
क्या मतलब फिर मुंह
खोल के,,

"प्यार का मतलब प्यार है यार
प्यार ना मिला तो सब बे कार,,