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जंगल का रहस्माई सफर
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा।

सुदीप~ रवि! तुम इतने नसमझ हो गए की ,मेरी बात महक ले लिय ,इतना लंबा रास्ता है और हम जंगल के बीचों बीच है ,यह से हमारा फॉर्म उतना ही दूर है जितना हम अपने हॉस्टल से चल कर यहां आए है ,और यहां पर फोन का नेटवर्क भी काम नहीं कर रहा है ,और अब क्या करे हम !

रवि~ अरे तो परेशान न हो ना हम वैट करते है कोई कार, बाइक आती है तो हम उससे लिफ्ट ले सकते है !......

सुदीप ~ यहां पर इतनी रात को कोई , कार या बाइक सवार नही आता जाता है ,हम ये एक संकरा रास्ता है ,ये पहाड़ी इलाका है यहां कोई
आता जाता नही है !
रवि ~ सुदीप तुम ! खा मा खा परेशान हो रहे हो , यहा से दो रास्ते है जाने के ,एक तो टनल से हो कर ,और दूसरा ये लंबा रास्ता ,तो हम टनल से होकर चलते है ,और कल सुबह ही कार को रिपेयेरिंग किया मैं , वर्कर भेजवा दूंगा
चलो अब !

दोनो अपना ~ अपना बैग कंधे पर टांग कर निकल पड़ते है !

सुदीप ~ रवि मुझे ये जंगल डरावना लग रहा है !
रवि ~ हा! तो रात में जंगल डरावने हो लगते है ! हंसते हुए बोला ।
सुदीप ~ मजाक मत करो ! यार.
रवि ~ तुम कितने डरपोक हो सुदीप! आज पता चल गया!
सुदीप ~ मैं डर नही रहा हु ! मैने यह के बारे में बहुत कुछ सुना है !
रवि ~ हां ! तो सुना होगा,,,उससे क्या !
सुदीप ~ मैं तुमको भी बताऊं ?
रवि ~ चल बता ! कम से कम इसी बहाने हम टनल तक तो पहुंच जायेंगे ! और ये तीन केएम का सफर भी कट जाएगा !

रवि ~ मुझे दर लग रहा है ! मैं बताऊं या रहने दू ?
सुदीप ~ यार! तू भी लड़कियों के जैसे हरकत करते हो !चल बता !

सुदीप और रवि एक दूसरे के साथ हॉस्टल टाइम से साथ रहते है ,जंगल से निकलने पर वहा से 5 केएम दूर पर सुदीप का फॉर्म है जहा वो रहा करता था ! शिमला में टूर दोनो कुमाऊ की मंदिर घूम कर दोनो वापस घर ही जा रहे थे लेकिन ये रास्ते में जंगल ने उसकी जिंदगी में नया मोड़ ले आया।

अब सुरु होती है ! रवि की कहानी जो वो सुदीप को बताने जा रहा था !
रवि ~ तो मैंने अपने ! हॉस्टल में को दाई आती है काम करने ,उसने बताया था की ,ये जंगल काली रात अमावस्या को और बड़ा होता जाता है एकदम लंबा और यह पर रहश्मय घटना भी होती है , जैसे की पायल की आवाज ,और अचानक से बहुत सारे लोग दिखाई देते है !
सुदीप ~ गौर से उसकी बात सुन रहा था तभी ,,,,जोर से हंसते हुए बोला !
वह ,वह कहानी मस्त थी ।
चलो अब अब सब चार सौ मीटर रह गया है ये देखो टनल !

सुदीप ~ मेरी बात मानो तो चलो लौट चलते है अपने कार में रात भर उसी में गुजर लेंगे !
और सुबह होते ही ,,कोई न कोई आ ही जाएगा इस रोड पर !

रवि ~ इतनी दूर आ गए है तो अब वापस मैं नही जाऊंगा ! चलो चुप चाप और टनल सीधा हमे दूसरे साइड निकाल देगा !

सुदीप ~ एक बात बताओ रवि ! क्या इससे पहले तुमको ये टनल यहां कभी दिखा था ?कही ये टनल जादुई तो नही है ?

रवि ~ मैं पहली बार ही आ रहा हु रात में ,और जितनी बार आया हु दिन में ,तो मैंने ध्यान नहीं दिया ! लेट हो रहा है रात के ,दस बज रहे है ! अब और लेट नहीं चलो जल्दी !

रवि सुदीप का हाथ पकड़ता है और जाने लगता है ,,,,,,तभी टनल में से एक बस आती है ,ये दोनो टनल के पास पहुंच चुके थे,,,,,,,और बस इन दोनो के पास आ कर रुक जाती है !
रवि ~ तुम इतना दर रहे थे देखो बस मिल गई चलो अब ,,,,जल्दी नही तो ये भी छुट जाएगी।
बस का रंग पीला और धूल से सनी हुई जैसे उसको कभी साफ ही ना किया गया हो ,,
बस में तीन ,चार सवारियां थी ,,, जो सो रहे थे।

बस का दरवाज़ा खुलता है ,बस कंडक्टर मुंह में पान खाए हुए , थूकता हुआ !
चलो री जल्दी करो ,इतनी रात में तुम छोरा लोग घूमता है ?
चलो जल्दी बैठो और आगे भी जाना है ?
रवि सुदीप बस पर चढ़ जाते गई ,,और सीट पर बैठ गए !

रवि को भी अब सब अजीब सा लग रहा था !
दोनो बीच की सीट पर बैठ जाते गई ,,
रवि ~ कडेक्टर साहेब ! कब तक सफर खत्म होगा ,बाहर फॉर्म के रास्ते पर उतरना है !
कैंडेक्टर ~ सफर तो अभी सुरु ही किए हो ,इतनी जल्दी पहुंचने की बात करते हो ,आप आराम से नींद ले लो ,जब पहुंच जायेंगे तब मैं जगा दूंगा !

रवि और सुदीप दोनो एक दूसरे को देखते है ,,,रवि ~ सुदीप तुम डर तो नही रहे ना अब ?
सुदीप ~ यार मुझे ये बस ठीक नही लग रही है ,,,,, धीमे आवाज में रवि के कान के पास जाकर कहता है ?
रवि ~ गड़बड़ तो मुझे भी लग रहा है ! लेकिन इतना जान लो ,,,हमे सोने का नाटक करना होगा ,,,,,और एक घंटे के बाद भी अगर हम लोग टनल से नही निकले तो ,,,,,हैं बस से उतर कर वापस अपने कार में चले जायेंगे ,,,,फिर कुछ भी हो !

दोनो सोने का नकल करते हुए ,,,,,आंखे बंद कर लेते है !

अब रात के 12 बज गए दोनो अभी तक टनल में ही चल रहे बस में बैठे है !

रवि धीरे से सुदीप को उठाता है लेकिन सुदीप सो चुका था ,आंख खुलने पर देखा की सारे लोग सो रहे है जो सीट खाली थी वो भी भर गई है ,,,बस कंडक्टर भी ,,,,नींद के आगोश में झूल रहा था ।


रवि को माजरा समझ में आ गया की ,,,सुदीप सही कह रहा था कुकी ,,,,,जहा से रवि की कार खराब हुई थी वहा से जंगल से बाहर आने के सिर्फ 40 मिनट का टाइम लगता है जो की ओवर हो चुका था !

रवि ~ समझ गया की उसके जान को खतरा है !
रवि ,,सुदीप को उठाने की कोशिश करता हैं,,,,,रवि जब खिड़की के बाहर झकाता है तो देखता है की ,,,ये बस पिछले 2 घंटे से उसी टनल में चक्कर लगा रही है ,और इस टनल से बाहर निकलने का अब कोई रास्ता नही है !

सुदीप को हजार बार चकोटिया करने के बाद ,,सुदीप जाग जाता है लेकिन अब भी टनल सुदीप को अपने नींद के आगोश में खींच रही थी !

रवि ने ,,,,,बैग में से मंदिर का कलावा निकाला और सुदीप के गले में बांध दिया और आधा खुद पॉकेट में रख लिया ।
धागा पवित्र माना जाता है ,,,उसके प्रॉयोग से सुदीप अपने चेतन अवस्था में आ जाता है !
रवि ~ सुदीप को सब बताता है और ,हस से उतरने जा प्लान बनाने लगता है !
सुदीप तो डर के मारे ,,,,,कुछ बोल ही नहीं पा रहा था !
रवि ~ सुदीप को रिलेक्स रहने के लिय बोलता है और ,,,बस ड्राइवर को बस रोकने के लिए कहता है !

बस ड्राइवर जब पीछे घूमता है तो उसका फेस अधजला था वो बोलता है की ,,बस में आए हो अपने मर्जी से जाओगे हमारे मर्जी से !
इतना कह कर बस चलाने लगता है ,,,,,।

रवि को पता था ये लूप तब खत्म होगा जब हम ,वापस से टनल के बाहर जायेंगे !
कैंडेक्टर ~ इन दोनो को ,,,,खिड़की से कूद जाने के लिए इशारा करता है ! और धीरे से बोलता है ,,,,,,की इस टनल के बारे में वापस मत सोचना ,,,,।

रवि ~ लेकिन तुम हमारी मदद क्यों कर रहे हो?

कैंडेक्टर ~ ये सब बाद में पता चल जाएगा !
दोनो चकती बस से कुदजाते है !
ड्राइवर और बस के लोग जोर जोर से चिल्लाने लगते है ,,,,,,,,।
इधर कंडेक्टर,,,बोलता है ,,की तुम टनल से गेट से 400 मीटर की दूरी पर हो और टनल गायब होने में सिर्फ 5 मिनट बाकी है ,,, अगर तुम टनल से नही निकल पर तो हमेशा के लिए यही फश जाओगे !

बस ड्राइवर ,,, कैंडेक्टर का सिर धड़ से अलग कर देता है ,,,,,,,,
बस की रफ्तार आगे की ओर चली जा रही थी ,,,,,,,,
सुदीप और रवि दोनो पूरा हिम्मत कर के टनल से निकलने के लिए रेस लगा देते है !
और टनल के गेट के पास पहुंच गए थे टनल धीरे धीरे ,,,बंद होता जा रहा था ,,इधर बस भी उन लोगो के पीछे ,,,,तेज रफ्तार से वापस आ रही थी !
रवि और सुदीप थक चुके थे ,,,,,,,,,,अब बस 5 कदम का फासला था ,,,बाहर का ,,रवि और सुदीप को जादुई टनल अपने अंदर से बाहर जाने ही नही दे रहा था ,,,,,,,,,,,।
रवि अपने पॉकेट में कलावा का एक छोर अपने हाथ में लेता है और दूसरा छोर टनल के बाहर फेकता है और तभी उसके ऐसे करने से टनल का जादू का असर कम हो जाता है और दोनो टनल के बाहर एक झटके से आकर गिर जाते है ,,,और वो बस और उसके अंदर मौजूद लोग अपने डरावने रूप में खीझ कर रह जाते है ,,और बस कंडक्टर का सिर भी खिड़की से उसको देख रहा था ।

रवि और सुदीप को अपने आंखो पर विश्वाश नही हो रहा था ,,,,और अब दोनो अपने नए जीवन को पाकर बहुत खुश होते है ,,,,,
दोनो वहा से पैदल अपने ,,,,,अपने कार तक आते है ,,,,तभी उसको एक बस दिखाई देती है जो ,,,,,,,हॉर्न देते हुए रोड से आ रही थी ,, सुबह के 4 बज रहे थे और ,,वो बस आ रही है ,,,
लेकिन इस बार रवि और संदीप दिनो कार में बैठ जाते है और ,,,,,बस का वेट नही करते ,,,,,,दोनो कार के अंदर बैठे और कर पर कलावा का बांध दिए थे ।
बस वही से गुजर जाती है ,,देखने पर बस खाली थी और वही ड्राइवर ,वही कैंडेक्टर उस बस में और वही 5 सवारी बैठ कर सोती हुई ,,,,
रवि को समझ में आ गया की जो भी बस का वेट करता है और ये बस उसी इंसान को लेकर जाती है !
दोनो खुशी से एक दूसरे को गले लगाते है और भगवान को सक्रिय करते है,,,
दोनो थक कर न जाने कब सो गए..
सुबह नींद खुली तो दोनो अपने फार्म पर और सामने बस कंडक्टर की फोटो लगी हुई !
दोनो की आंखे खुली रह गई !




© @खामोश अल्फाज़ ©A.k