...

26 views

खैरियत
पूछना खैरियत कैसी है, जनाब??
ये लफ्जो के खेल है बहुत आसान .. असल ज़िंदगी में कभी अपने अपनों संग बैठ ये जानने की कोशिश करो क्या सही मायनों में हम खैरियत शब्द के दर्द से वाक़िफ तो है ना..?? अगर हां तो अपनों का दर्द आज तक समझ क्यों नहीं पाए और अगर समझे तो साथ दे क्यों नहीं पाए, और नहीं हो वाक़िफ तो अपने आप से सवाल करो ज़िंदगी में अपनों के बिना तुम्हारी खैरियत कितने लोग पूछते है और इस बात से उनको कितना फर्क पड़ता है कि आपकी तकलीफ़ में वो आपको दिलासा दे या आपके संग उस तकलीफ़ को दूर करे !!!

क्युकी खैरियत पूछने वाले हजारों मिलेंगे और तकलीफों को बांटने वाले दो - चार लोग शायद उनमें से भी कुछ के आपसे जुड़ने का कोई मकसद हो, हां यही फर्क है खैरियत में छुपे दर्द का जिसे सिर्फ आपके अपने ही समझते है उनमें से भी कुछ अपने आपसी फायदे की फ़िराक़ में होते है !!

© अदीत