...

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अनुभव
"ज़िंदगी" एक सीख
"ज़िंदगी" एक सज़ा
"ज़िंदगी" एक भ्रम

ज़िंदगी लगा जैसे सज़ा है, कुछ हद तक मैं सही था
ज़िंदगी लगा जैसे व्यर्थ है, जीने का न कोई वजह था
न मुझे गुरु मिले, न मिली मुझे अपनी मंजिल
न घर का पता मुझे, न पता मुझको जाना कहाँ था

बंद थे सारे द्वार, जब अँधेरा ही मेरा उजाला था
जब ढूँढा...