सफर ए दास्ता
भाग 2
सिद्धार्थ को यू सामने पाकर रागिनी का मन अशांत हो उठा...
वो जानती थी,कि सिद्धार्थ उसे पसंद करता था!!!
रागिनी घर से निकली तो बिल्कुल अकेली थी,सिद्धार्थ ने खुद देखा...
उसके घर के कुछ दुरी पर उसे एक कार खड़ी दिखी
कोई था...!!""
जिसे उसने कही देखा था...!!
वो कार ड्राइव कर रहा था.... बगल मे रागिनी थी
वो भी उस कार के पीछे हो लिया....!
वो लोग पास के ही कैफ़े पे मिल गए...!
सिद्धार्थ ने गौर से देखा, चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा...!
जिस लड़के के लिए रागिनी ने घरवालों से बगावत की.. ये वो ही लड़का था !
उसका मन रागिनी को लेकर बेहद गुस्से से भर गया...!
ये रागिनी क्या कर रही है...!
सिद्धार्थ वहां से चला गया !!
रागिनी को लेकर कई सवालों से वो बैचैन हो उठा..!
इन सारे सवालों के जवाब रागिनी के पास थे
वो,रागिनी से मिलना चाह रहा था..!
पर कैसे...?
उसने आरती से कांटेक्ट किया
उसने रागिनी के शहर मे उसे बुलाया !
आरती...आई भी...!!!!
स्टेशन पर रागिनी उसे लेने पहुंची !
सालो बाद दोनों सहेलियां मिल रही थी,
सिद्धार्थ भी स्टेशन आया हुआ था...
आरती ने सिद्धार्थ से रागिनी को मिलाया
रागिनी ने कहा, " हम मिल चुके है "
सिद्धार्थ ने जवाब दिया, " पर अपनी बात नहीं हुई "
रागिनी ने कहा, क्या बात करनी है, क्यूँ जानना चाहते.... कि,मै घर से क्यूँ भागी !
मै प्रेम मे थी किसी के...!"
"थी !!!! या,अब भी हो....?
सिद्धार्थ ने पूछा..
रागिनी ने सिद्धार्थ की ओर देखा...
सिद्धार्थ ने कहा.... शादी कर ली...
वो भी जिसके लिए भागी उसके लिए नहीं
किसी और से...??
और अब भी अपने प्रेमी से मिलती हो.."
"धोखा देने का तुमने ठेका ले रखा है क्या"
रागिनी के गुस्से से आंसर दिया...
मै और तुम कभी रिश्ते मे थे ही नहीं...
तो तुम्हे कौनसा धोखा दिया मैंने"
रागिनी बेहद गुस्से मे थी
आरती, रागिनी को स्टेशन से लगभग घसीटते हुए ले गयी..
सिद्धार्थ ने भी तैश मे आके कह दिया...
इतना मौका तो देती, कि तुम्हारे प्रेम हूँ, तुमसे कह पाता... सिद्धार्थ के आखो मे आंसू थे..!
रागिनी और आरती वहां से जा चुके थे
घर आने पर रागिनी से आरती ने पूछा
ये सिद्धार्थ क्या कह रहा था... क्या तुम अभी भी राजीव के कांटेक्ट मे हो...?
रागिनी ने कोई जवाब नहीं दिया
आरती ने कहा, " एक गलती तुमने, कम उम्र मे की थी,
दूसरी अभी कर रही हो....??
"क्या तुम अपने पति के साथ खुश नहीं हो"
तुम उसे क्यूँ धोखा दे रही हूँ..
रागिनी ने कहा, " धोखा नहीं दे रही हूँ
राजीव ने बस एक बार मिलने बुलाया,
और मै खुद को रोक नहीं पायी
और चली गई..
तभी,शायद सिद्धार्थ ने देखा होगा
"तुम्हे पता है, रागिनी...तुमसे ही मिलने के लिए मुझे, सिद्धार्थ ने बुलाया...
वो जानता था,स्टेशन पर तुमसे उसकी मुलाक़ात हो सकती है..
उसके बार बार कहने पर मै चली आई...
मुझे बाद मे पता चला कि..
"सिद्धार्थ को भी तुमसे प्रेम था...
या पता नहीं अब भी है..."!"
रागिनी, चुप थी..
आरती के बात ख़तम करते ही....
रागिनी ने कहा, "मैंने शादी तो कर ली...
पर मै राजीव को कभी भूला नहीं पाई !
शायद, इसीलिए उसके सिर्फ एक बार कहने से मै उससे मिलने चली गई...!!
मुझे नहीं लगता अभी मै और अपने पति के साथ रह पाऊँगी...!!!
कुछ महीनों बाद,
एक दिन अचानक,
सिद्धार्थ को रागिनी बस से उतरते हुए मिली
वो उसके पीछे हो लिया
और एक जगह गाड़ी रोक कर
उस से साथ बैठने का आग्रह करने लगा...
"कभी हमारी दो पहिए की पापा की एक खटारा सी स्कूटर हुआ करती थी..."
और एक हूर की परी..!!!
हमसे बिना बोले भी
हमारे उस स्कूटर पर बैठ जाया करती थी !!
रागिनी को उसके इस आग्रह पर
प्यार आ गया
और वो मुस्कारते हुए,उसके साथ बैठ गयी !
सिद्धार्थ कहने लगा...
इस शहर मै आया तो था किसी काम से,पर तुम यहाँ हो,
तो इस वजह से मै भी यहा रुक गया
सोचा, इस बहाने थोड़ा बहुत बिजनेस भी कर लिया जाये !!
पर, तुम आज बस से... क्यूँ...?
ड्राइवर, छुट्टी पर है...?
रागिनी ने गहरी सांस ली...
और कहने लगी
पिछले महीने... मेरा डाइवोर्स हो गया..
अभी मै यहाँ पास मे ही एक स्कूल मे जॉब कर रही हूँ....!!!
स्मृति.
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