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●आख़िरी क्यों!!
यह कहानी उस चुलबुली,मासूम परी की है ; जिसके जाते ही मायुसी और दु:ख को वहाँ से भागना परता था;
बचपन से सबके दिलों पे राज़ करने वाली उस परी का नाम था "रानी" जैसा नाम वैसा ही काम, कभी किसी को तकलीफ में नहीं देख पाती थी सबको खुश रखती थी ।
रानी पढ लिखकर बहुत बड़ी ऑफिसर बनना चाहती थी, जिसके लिए वो शहर पढने के लिए गयी।
धीरे-धीरे उसके अच्छे स्वभाव के बारे में शहर में उसके परोस, दोस्त सबको पता चल गया, रानी अब खुशी से वंहा पढ़ाई करने लगी ।
रानी की जिन्दगी में अब वो तूफ़ान आनेवाला था जिसकी भनक भी उसे नहीं थी; एक दिन शाम को वो कोचिंग से लौट रही थी रास्ते में बारिश होने लगी तो वो एक जगह रूक गयी, वहाँ उसे एक लड़का दर्द से तरपता हुआ दिखा;रानी भागते हुए उसकी मदद करने वहाँ पहुँची
लेकिन अचानक वो चौंक गयी क्योंकि उसके वहाँ जाते ही वो लड़का जो थोरी देर पहले दर्द से तरप रहा था वो उठकर जोर-जोर से हंसने लगा, इतने में ही वहाँ चार-पाँच और लड़के आ गये और रानी को चारो तरफ से घेर लिया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है, रात के आठ बज चुके थे वो घबराते हुए वहाँ से जाने लगी कि तभी दो लड़के आये एक ने मुँह पे रूमाल डालकल उसे बेहोश कर दिया और दूसरा उसे उठाया और सभी रानी को लेकर चले गये ।
अब रात के दस बज चुके थे,उधर रानी को सब ढूँढ रहे थे और इधर उस मासूम-सी परी के साथ दरिंदगी हो रही थी। बहुत ढूँढने के बाद भी किसी को कुछ पता नहीं चला; अब सुबह के छः बज चुके थे लोग टहलने के लिए जा रहे थे अचानक कहीं से लोगों को कराहने की आवाज़ सुनाई दी जब लोग पहुँचे वहाँ तो किसी की हिम्मत नहीं हुई की उसे दुबारा देख पाये, ऐसी हालत कर दी उन दरिंदो ने उस बेचारी मासूम -सी परी का ।
लोगों ने पुलिस को फोन किया; पुलिस आयी फिर रानी को अस्पताल ले गयी लेकिन रास्ते में ही
एक हस्ती-खेलती लड़की दुनिया को अलविदा कह गयी और जाते-जाते उसने आख़िरी बात कही कि "मैं मरना नहीं चाहती हूँ, मुझे बचा लो
अभी मेरे सपने अधुरे हैं"!!
#रानी Q• सवाल बस इतना सा है कि वक़्त बदला लोग बदले लेकिन लड़कियों के लिए पुरूषों की नियत क्यों नहीं बदली है आजतक ?
Q• सवाल ये भी कि आज भी अगर अकेली लड़की सड़क पे निकलती है तो ऐसे पुरूषों की कमी नहीं होती है जो लड़की को अकेले देख कर इशारों की नुमाईश लगाये होते हैं क्यों?
आखिर क्यों आज भी लड़कियाँ घर से बाहर सहज और सुरक्षित महसूस नहीं करती है?

© Rangeela swaraj