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आखो के पीछे
हमारे स्कूल में एक लड़का था । जो हर्समय बस हस्ता जता था। उसे जितना भी रुलआने का चेस्टआ किया गया , सब फैल हो जआता था । वोह लड़का हमारे स्कूल के हॉस्टल में रह्ता था । हॉस्टल में भी बोहोत सारे लड़को ने उसे रुलआने की कोसिस की थी , उसे 'गआधा " " चोर " , क्या नै बोला हमने , मगर वोह फिर भी हस्ता था ।

इस्स लडके का नाम था " सन्तनू " । एक बरही सीधा सधा लड़का था क्लास का। पढाई , उत्ना अच ना हो , बताए बोहोत प्यारी कर्ता था । और उसकी मुस्कान भी...