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वी. सी. आर.....
वी. सी. आर...
आज सामने वाली धर्मशाला में बारात रुकेगी.. चौक में रात को वी. सी. आर चलेगा जर्रू भागता नाचता फैंफू, रुक्शया और टेणु कै पास आया.. वे तीनो भी खुश होकर नाचने लगे... उदेश भी वहीं बड के चबूतरे पर बैठा सुन रहा था हल्की मुस्कान लिये सोच रहा था..कितना अच्छा हो की बाऊजी आज मुझे भी इन सब के साथ वीसीआर देखने भेज दे.. कोई दूर भी नहीं है सामने ही तो है चौक,, पर मुश्किल है बाउजी तो पडोसियो के टीवी भी नहीं देखने देतै.. वो भी गर्मी की छुट्टुयों में नानी के जाते हैं तब ही देखने मिलता है,वो कोनसी पिक्चर थी.. हां ताकत.. अरे कितनी जोरदार फाईट थी ढिशुम ढिशुम.. ये सोचते सोचते उदेश के हाथ चलने लगे.. अरे उदेश तू भी आना...