#रॉन्ग नंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो जब ऐसे ही रॉन्ग नंबर से कॉल आया था।
एक प्यारी सी आवाज जिसे सुनते हीं मैं मोहित हो गया था।रॉन्ग नंबर होने के बावजूद मैं अपनी बातों में उलझा कर बातें करना चाह रहा था और उधर से भी ऐसा महसूस हुआ की वो भी शायद बात करने की इक्षुक है।
बात करते करते हमने एक दूसरे का परिचय भी ले लिया।
जब उसने बताया अपना परिचय देते हुए धीरे से अपना नाम बताया "स्वीटी"
ऐसा लगा जैसे कानों में कुछ मिठास सी घुल गई हो। फिर उसने बताया की वो एक होटल में काम करती है , बात करते करते कब समय बीत गया पता हीं न चला, उतनी देर में हीं काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी हमारी।
कुछ दिनों तक अक्सर बातें होने लगी हमारी और मैं उसके बहुत करीब होने लगा। मुझे स्वीटी से मिलने की चाह होने लगी पर मैं उसे कह नहीं पा रहा था।
वो हर रात मुझे कॉल करती थी और अपनी दिन भर की सारी बातें बताती थी,हम किसी किसी बात पर ठहाके लगा कर बहुत हंसते भी थे। मैं रोज उसके फोन का इंतजार बहुत बेसब्री से करने लगा ,मुझे एक आदत सी हो गई थी। लेकिन एक दिन अचानक मैंने उस से मिलने की इक्षा जाहिर कर दी,उसने भी हामी भरी और रविवार को मिलने का वादा किया।
रविवार को मैं सुबह जल्दी जल्दी उठ कर तैयार हुआ और निर्धारित जगह के लिए जाने के लिए कार निकाला तभी अचानक उसका कॉल आया कि वो नहीं आ सकती उसकी मां की तबियत अचानक बहुत खराब हो गई है वो उन्हें लेकर अस्पताल जा रही है, मैं कुछ कहता उसके पहले हीं उसने फोन रख दिया।
मैने सोचा वो अभी परेशान होगी इसलिए मैंने उसे कॉल नहीं किया और इस तरह से ४ दिन गुजर गए।
मेरा दिल किसी काम में नहीं लग रहा था और बहुत बेचैनी सी हो रही थी। उसकी खबर लेने के लिए जैसे हीं कॉल लगाया उसका फ़ोन बंद बता रहा था, फिर मैं रुक कर कितनी बार उसे कॉल लगाया और हर बार फ़ोन बंद हीं रहा। इस तरह कितने दिन ,कितने महीने बीत गए पर ना कोई कॉल आया और न फ़ोन ऑन हुआ।
मैं उस घड़ी को कोसने लगा की इतने दिनों तक मैंने बातें तो की पर ना मैंने उसका पता पूछा और ना हीं वो जिस होटल में काम करती थी उसके बारे में पूछा।
इस तरह मेरी प्रेम कहानी शुरू होने के पहले खत्म हो गई और आज भी मैं उसके कॉल का इंतजार कर रहा हूं।
आज जिस तरह से रॉन्ग नंबर से कॉल आया तो मेरी स्वीटी मुझे बहुत याद आई।
✍️कनु प्रिया
एक प्यारी सी आवाज जिसे सुनते हीं मैं मोहित हो गया था।रॉन्ग नंबर होने के बावजूद मैं अपनी बातों में उलझा कर बातें करना चाह रहा था और उधर से भी ऐसा महसूस हुआ की वो भी शायद बात करने की इक्षुक है।
बात करते करते हमने एक दूसरे का परिचय भी ले लिया।
जब उसने बताया अपना परिचय देते हुए धीरे से अपना नाम बताया "स्वीटी"
ऐसा लगा जैसे कानों में कुछ मिठास सी घुल गई हो। फिर उसने बताया की वो एक होटल में काम करती है , बात करते करते कब समय बीत गया पता हीं न चला, उतनी देर में हीं काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी हमारी।
कुछ दिनों तक अक्सर बातें होने लगी हमारी और मैं उसके बहुत करीब होने लगा। मुझे स्वीटी से मिलने की चाह होने लगी पर मैं उसे कह नहीं पा रहा था।
वो हर रात मुझे कॉल करती थी और अपनी दिन भर की सारी बातें बताती थी,हम किसी किसी बात पर ठहाके लगा कर बहुत हंसते भी थे। मैं रोज उसके फोन का इंतजार बहुत बेसब्री से करने लगा ,मुझे एक आदत सी हो गई थी। लेकिन एक दिन अचानक मैंने उस से मिलने की इक्षा जाहिर कर दी,उसने भी हामी भरी और रविवार को मिलने का वादा किया।
रविवार को मैं सुबह जल्दी जल्दी उठ कर तैयार हुआ और निर्धारित जगह के लिए जाने के लिए कार निकाला तभी अचानक उसका कॉल आया कि वो नहीं आ सकती उसकी मां की तबियत अचानक बहुत खराब हो गई है वो उन्हें लेकर अस्पताल जा रही है, मैं कुछ कहता उसके पहले हीं उसने फोन रख दिया।
मैने सोचा वो अभी परेशान होगी इसलिए मैंने उसे कॉल नहीं किया और इस तरह से ४ दिन गुजर गए।
मेरा दिल किसी काम में नहीं लग रहा था और बहुत बेचैनी सी हो रही थी। उसकी खबर लेने के लिए जैसे हीं कॉल लगाया उसका फ़ोन बंद बता रहा था, फिर मैं रुक कर कितनी बार उसे कॉल लगाया और हर बार फ़ोन बंद हीं रहा। इस तरह कितने दिन ,कितने महीने बीत गए पर ना कोई कॉल आया और न फ़ोन ऑन हुआ।
मैं उस घड़ी को कोसने लगा की इतने दिनों तक मैंने बातें तो की पर ना मैंने उसका पता पूछा और ना हीं वो जिस होटल में काम करती थी उसके बारे में पूछा।
इस तरह मेरी प्रेम कहानी शुरू होने के पहले खत्म हो गई और आज भी मैं उसके कॉल का इंतजार कर रहा हूं।
आज जिस तरह से रॉन्ग नंबर से कॉल आया तो मेरी स्वीटी मुझे बहुत याद आई।
✍️कनु प्रिया