पढ़े-लिखे, सभ्य !!!!!!!!!!
आज -कल ' वो ' कही दिख़ते नही।
50-60 साल पह़ले,
जो कभी मेरे बचपन में हुआ करते थे।
कितने अज़िब होते थे।
और उनका इंतज़ार भी होता था।
बुढ्ढी के बाल बेचनेंवाला......
उसकी जोरोंकी वो ललकारी,
" बुढ्ढी के बाल लेलो,
मिठ़े बाल लेलो "..........
लकडी बक्सें में ' सिनेमा ' दिखानेंवाला....
उसका वह़ भारी आवाज में गाना..
" राजा देखो, रानी देखो,
रानी का महाल देखो, राजा की कार देखो "..
5/10...
50-60 साल पह़ले,
जो कभी मेरे बचपन में हुआ करते थे।
कितने अज़िब होते थे।
और उनका इंतज़ार भी होता था।
बुढ्ढी के बाल बेचनेंवाला......
उसकी जोरोंकी वो ललकारी,
" बुढ्ढी के बाल लेलो,
मिठ़े बाल लेलो "..........
लकडी बक्सें में ' सिनेमा ' दिखानेंवाला....
उसका वह़ भारी आवाज में गाना..
" राजा देखो, रानी देखो,
रानी का महाल देखो, राजा की कार देखो "..
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