unknown love #3
वक़्त थोड़ा बिता ही था
ना जाने हम अनजान से कब
दोस्त और एक दूसरे को
जान जान कहकर पुकारने लगे।
इतना पागलपन मस्तिष्क में था कि
उसे भी शायद पता लग चुका होगा
की इश्क़ हो रहा है मुझे
मै उसके लिए बावरी होती जा रही हूं।
अब वो सामने होता है तो
बातें करती हूं,
पर बोलते बोलते ख़ामोश होती हूं
और उस ख़ामोशी को अक्सर
वही...
ना जाने हम अनजान से कब
दोस्त और एक दूसरे को
जान जान कहकर पुकारने लगे।
इतना पागलपन मस्तिष्क में था कि
उसे भी शायद पता लग चुका होगा
की इश्क़ हो रहा है मुझे
मै उसके लिए बावरी होती जा रही हूं।
अब वो सामने होता है तो
बातें करती हूं,
पर बोलते बोलते ख़ामोश होती हूं
और उस ख़ामोशी को अक्सर
वही...