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#चुनाव
#चुनाव

चाय की टपरी में आज काफी गहमा - गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल.. वैसे ही चाय की दुकान भी.. दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
बनवारी लाल ने कान लगाकर सूनना चाहा.. कौन, किसे और क्यों "मत" देना चाहता है ? संकलित अभिप्राय बनाकर वह स्वयं अपने 'मूल्यवान वॉट' को ओर भी बहुमूल्यता प्रदान करना चाहता था। चाय भले ही ठंडी हो रही हो.. निष्प्रभावी हो रही हो... पर आज उसे टपरी पर हो रही "चाय पे चर्चा" में बड़ा रस उमड रहा था...