...

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बारिश
जड़वत पाषाण सी
स्थिरता लिए ... सुखी आँखों को
खिड़की के बाहर फैलती हुई बारिश
से ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ता,

मौसम का मानचित्र घर के कोने में
दीवार पर तुम्हारी तस्वीर लिए
कभी चांद के माथे से टपकता पसीना
कभी तकिए औंस की बुंदे उगाए,

पिघलते हुए स्वप्नों का बहाव
साथ बहा ले गई प्रतिक्षा की घास,
अब देह का झूला
जड़ों से कमज़ोर हो सकता है

प्रेम के मध्य एक तालाब है
जिसमें तैरती है मौसम की मछलियां
और कभी तैरती थी सपनों की नाव
जो हररात उतरती थी तुम्हारी छत,

उस पानी में डूबने का कतई डर नहीं
मुझे रिस्ती हुई उदासी डूबा देगी
अकेलेपन की गर्त में डूबना
जहां कोई हाथ दिखाई न दे,

यही संसार है जहां मौसम बदलते रहेगें
भीगने के मौसम कायम रहेंगे
कायम रहेंगे यही प्रेम के किस्से
यही अंत है मेरा, और यही मेरी नियति...
भीगने के मौसम बदलते रहेंगे
© Mishty_miss_tea