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होड़🏃🏃
अब मुझे वास्तव में यकीन होने लगा है कि शायद यह मेरे ही नजरिए का ही दोष है और मुझे ही इसे सुधारने की आवश्यकता है।
पढ़ा भी तो है कि यह ब्रम्हांड एक आईना है और जैसी उर्जा हम इसकी ओर प्रवाहित करते हैं वैसे ही वह हमारी ओर परिवर्तित कर देता है ( Universe is a mirror, it reflects back whatever you direct towards it.) और यह भी कि जो दोष, त्रुटियां जो हमें दुसरो में नजर आती है वो कहीं न कहीं, हममें ही निहित होती है दुसरे तो केवल माध्यम भर है हमको हमसे ही मिलाने का...

हां, तो अब असली मुद्दे पर आते हैं फिलहाल यह हाल है कि मुझे अक्सर दैनंदिन जीवन में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, होड़ के दर्शन होने लगे हैं । मैं कोशिश करता हूं कि मैं इससे बच जाऊं, किनारा कर लूं ,पर यह यक्ष प्रश्न की तरह बार - बार मेरे सामने आ खड़ा हो जाता है ! अल्पसंतोषी व्यक्ति हूं ,भव्य महात्वाकांक्षाएं नहीं रखता, यह नहीं है कि स्पर्धा के विरुद्ध हूं। स्पर्धा का अपना महत्व है , स्वस्थ...