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बदलाव
कुछ और बदलने से पहले हमें खुद को बदलना होगा
हमें खुद को तैयार करना होगा
हमें सकारात्मक बनना होगा
अपने दृढ़ निश्चय को फौलाद करना होगा।

तभी हम एक बदलाव ला पाएंगे जो हम सचमुच लाना चाहते है।
इसी पर ये कहानी है "बदलाव"

मैंने देखा मेरे दादाजी शांत मुद्रा में बैठे है। कुछ सोच रहे है। हम उनके करीब गए। और पूछा, दादाजी आप यूँ खामोश क्यूँ बेठे हो?
आपको कोई परेशानी है तो हमसे कहिये ना।

पर दादाजी पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले बचपन कितना अच्छा था। कोई जिम्मेदारी नहीं थी। तब मैं दुनिया बदलने के बारे में सोचा करता था।

फिर जैसे जैसे हम जवान हुए तब सोचने लगे, दुनिया को बदलना बड़ा मुश्किल काम है। तब सोचा क्यूँ न अपने देश को ही बदला जाए। ऐसे करते- करते हम बूढ़े हो गए पर ना दुनिया को बदल सके ना देश को।
हर कोई ऐसा नहीं कर सकता। पर फिर सोचा क्यूँ न अपने परिवार को बदलता हूँ।

पर अफसोस! वो भी नहीं कर पाया। अब मुझे एहसास होता है कि मैंने ख़ुद को बदलने का सोचा होता तो मैं ऐसा जरूर कर पाता।

तब हो सकता है मुझे देखकर मेरा परिवार भी बदल जाता।

ये कहते कहते दादाजी की आँखें नम हो गयी। और बोले मुझे, बच्चों तुम मेरे जैसी गलती कभी मत करना।

कुछ बदलने से पहले ख़ुद को बदलना, बाकी सब अपने आप बदल जायेगा। हम सभी में दुनिया बदलने की ताकत है। पर शुरुआत ख़ुद से ही होती है। ख़ुद को बदलकर बदलाव ला सकते है।

Usha patel