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सपनो का घर
बात 2011की है तब हम कोलकाता में रहते थे। ये घटना मेरे पति के साथ घटित हुई। अखबार के साथ एक अपार्टमेंट का विज्ञापन आया जो बहुत ही सुन्दर अपार्टमेंट का था। मेरे पति को प्राक्रतिक खूबसूरती से बहुत ही प्यार है और वह बिल्कुल वैसा ही सुन्दर अपार्टमेंट था जैसा कि वह चाहते थे। चारों ओर पहाड़, पेड़ ,पौधे स्वीमिंगपूल,पार्क, क्रिकेटग्राउंड,बास्केटबॉलग्राउंड,क्लबहाउस,सब कुछ था ये बोले कि घर हो तो ऐसा मैं ऐसे ही घर में रहना चाहता हूं।
उस विज्ञापन को‌ काट कर रख लिया। वो मुम्बई में था, जहां हमारे जाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन कहते हैं ना कि कभी -कभी, मुंह और दिल से निकली हुई बात ब्रह्मांड में जाती है शायद उनके साथ भी यही हुआ । आज इतने साल बाद 2020 में हमें सफाई करते समय कुछ जरूरी कागजात में वो विज्ञापन मिला मैं अचम्भित रह गई क्यो कि मैंने जब ध्यान से देंखा तो पाया कि मैं मुम्बई के उसी अपार्टमेंट में उसी फ्लैट में रह रहीं हूं जिसके बारे में कभी मेरे पति सोच कर रह गए थे
चमत्कार होते हैं । मेरे लिए तो यह चकित करने वाली बात है।
ज्योति मोहन। see