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‘ आज़ाद ’ के बाद......
“ अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर , तेरा बेटा तो चोर-डाकू था . इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“
जंगल में लकड़ी बिन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़ें भील ने हंसते हुए कहा ...

“ नही चंदू ने आजादी के लिए कुर्बानी दी हैं “
बुजुर्ग औरत ने गर्व से कहा .उस बुजुर्ग औरत का नाम जगरानी देवी था और इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया था , जिसमे आखरी बेटा कुछ दिन पहले ही शहीद हुआ था ...

उस बेटे को ये माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनियां उसे "आज़ाद " चंद्रशेखर आज़ाद तिवारी के नाम से जानती है ...!

हिंदुस्तान आजाद हो चुका था , आजाद के मित्र सदाशिव राव एक दिन आजाद के माँ-पिता जी की खोज करतें हुए उनके गाँव पहुंचे ...

आजादी तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था ...

चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी ...

आज़ाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी . अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात आज़ाद की निर्धन निराश्रित वृद्ध माताश्री उस वृद्धावस्था...