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ख्वाहिश,,, कत्ल उम्मीदों का भाग 4
भाग 4



जहां एक ओर पुलिस थाने से इंस्पेक्टर द्वारा सुखविंदर जी को जबर्दस्ती भेज दिया गया था तो वही दूसरी ओर रिश्तेदारों के ताने सुन रही अल्का जी को रह रह कर जब भी अपनी बेटी की याद आती उनकी आँखों से आँसू छलक पड़ते है।

काफी समय ऐसे ही बीत जाने के बाद सुखविंदर जी थके हुए कदमों से घर को आ रहें थे।अल्का जी को बाहर की ओर से आते हुए देख लेती है वह जैसे ही सुखविंदर जी को देखती है।

तो बिना किसी देरी के भागी भागी सुखविंदर जी के पास पहुँच जाती है। वह घर के अंदर कदम रख पाते उससे पहले ही अल्का जी अपने आँसू पल्लू से पोंछते हुए उन पर सवालों की बौछार कर देती हैं।

सुखविंदर जी आप आ गए, कुछ पता लगा,, मेरी लाडो कहाँ है ? मुझे पता है वो यही कहीं छिपी है अपनी बूढ़ी माँ को सता रही होगी पगली ,,,,कहिये ना सुखविंदर जी वो आपके पीछे आ रही है ना मुझे पता है आपने मुझसे वादा किया था की आप उसको साथ लाओगे और आप अपना हर वादा पूरा करते हो।

काफ़ी देर तक सुखविंदर जी कुछ नहीं बोलते और अलका जी के चेहरे की तरफ बस एकटक देख रहे थे और अलका जी उनसे सवाल पर सवाल किए जा रही थी।पर सुखविंदर जी के मुंह से अभी तक एक लफ्ज़ भी...