दोस्ती
एक दिन रमेश होटल में गया।जहाँ उसका दोस्त श्याम काम करता था।रमेश ने सोचा चलो आज श्याम के होटल में जी भर कर खाना खा लेते हैं।बिल तो मेरा दोस्त श्याम ही भरेगा।
लेकिन रमेश को क्या मालूम था।कि अगर उसने होटल जी भरकर खाना खा लिया, तो होटल मालिक श्याम की एक दिन की पगार काट लेगा।
जब बिल भरने की बारी आयीं।तो रमेश ने अपने दोस्त श्याम की तरफ इशारा करते हुए कहा,"यह मेरा दोस्त श्याम हैं।
श्याम ने कहा,"मैं मेरा दोस्त है।मैं इशारे में कहा बिल भर दूँगा।
रमेश श्याम से कहा,"दोस्त मैं आता रहूँगा।
श्याम ने कहा ,"जरूर आना दोस्त।
जब रमेश होटल से बाहर निकल रहा था।तो उसे होटल मालिक की आवाज सुनाई दी।
रमेश रुककर बात सुनने लगा।
होटल मालिक ने श्याम से कहा कि यह होटल तेरे आवारा दोस्तो को मुक्त में खाना किलने के लिये नही हैं।
कोई भी मुँह उठाकर चला आता हैं।आज के बाद तू अपने कोई दोस्त को मुक्त में खाना खिलाने के लिये बुलाया तो तुझे मैं काम से निकाल दूँगा।फिर मुक्त में खाना खिलाते रहना।
श्याम बोला सर मुझे माफ़ कर दो।वह मेरा सबसे जिगरी दोस्त हैं।मैं उसे कैसे मना करता।उसके दिल मे चोट लगती।
होटल मालिक गुस्सा हो गया।बोला तुझे अपने दोस्त की फ़िक्र हैं।तो तू उसी के पास जा।कल से काम पर नही आना।
होटल मालिक ने श्याम को काम से निकाल दिया।
रमेश भी धीरे से अपने घर आ गया।यह बात उसने श्याम को जाहिर नही होने दिया।
रमेश के दिल मे होटल मालिक के बात का बड़ा धक्का लगा था।
जब अगले दिन श्याम होटल में काम करने नही गया।तो रमेश ने उससे पूछा आज होटल नही गया श्याम।
श्याम ने कहा नही दोस्त ,मैं होटल में काम छोड़ दिया।
रमेश ने पूछा,"क्यों?
श्याम ने कहा ,"बस ऐसे ही।लेकिन उसने रमेश से कोई बात न बताई।
रमेश को मालूम तो था ही।वह निरास होकर अपने घर आ गया।
रमेश के पास पैसा तो बहुत था।उसने सोचा कि श्याम को एक होटल खोलकर देता हूँ।जिससे वह खुश हो जाएगा।और मेरी गलती का पश्चाताप भी हो जाएगा।
रमेश ने एक चौराहे पर एक दुकान खोल दी।और उसने श्याम को बुलाकर कहा।श्याम मुझे तेरे होटल में मुक्त खाना खाना हैं।
श्याम ने रमेश से कहा,"भाई मैं यह होटल नही चला पाऊंगा।
लेकिन जब रमेश समझाया तो श्याम मान गया।और बोला दोस्त मैं तुम्हारे इस एहसान का बदला कैसे चुकाऊंगा।
रमेश बोला मैं रोज तुम्हारे होटल में मुक्त का खाना खाने आऊँगा।
दोनो दोस्त हँसने लगे,और एक दूसरे को गले लगा लिया।
एक दोस्त दूसरे दोस्त की जरूर मदद करता हैं।
© Charan singh
लेकिन रमेश को क्या मालूम था।कि अगर उसने होटल जी भरकर खाना खा लिया, तो होटल मालिक श्याम की एक दिन की पगार काट लेगा।
जब बिल भरने की बारी आयीं।तो रमेश ने अपने दोस्त श्याम की तरफ इशारा करते हुए कहा,"यह मेरा दोस्त श्याम हैं।
श्याम ने कहा,"मैं मेरा दोस्त है।मैं इशारे में कहा बिल भर दूँगा।
रमेश श्याम से कहा,"दोस्त मैं आता रहूँगा।
श्याम ने कहा ,"जरूर आना दोस्त।
जब रमेश होटल से बाहर निकल रहा था।तो उसे होटल मालिक की आवाज सुनाई दी।
रमेश रुककर बात सुनने लगा।
होटल मालिक ने श्याम से कहा कि यह होटल तेरे आवारा दोस्तो को मुक्त में खाना किलने के लिये नही हैं।
कोई भी मुँह उठाकर चला आता हैं।आज के बाद तू अपने कोई दोस्त को मुक्त में खाना खिलाने के लिये बुलाया तो तुझे मैं काम से निकाल दूँगा।फिर मुक्त में खाना खिलाते रहना।
श्याम बोला सर मुझे माफ़ कर दो।वह मेरा सबसे जिगरी दोस्त हैं।मैं उसे कैसे मना करता।उसके दिल मे चोट लगती।
होटल मालिक गुस्सा हो गया।बोला तुझे अपने दोस्त की फ़िक्र हैं।तो तू उसी के पास जा।कल से काम पर नही आना।
होटल मालिक ने श्याम को काम से निकाल दिया।
रमेश भी धीरे से अपने घर आ गया।यह बात उसने श्याम को जाहिर नही होने दिया।
रमेश के दिल मे होटल मालिक के बात का बड़ा धक्का लगा था।
जब अगले दिन श्याम होटल में काम करने नही गया।तो रमेश ने उससे पूछा आज होटल नही गया श्याम।
श्याम ने कहा नही दोस्त ,मैं होटल में काम छोड़ दिया।
रमेश ने पूछा,"क्यों?
श्याम ने कहा ,"बस ऐसे ही।लेकिन उसने रमेश से कोई बात न बताई।
रमेश को मालूम तो था ही।वह निरास होकर अपने घर आ गया।
रमेश के पास पैसा तो बहुत था।उसने सोचा कि श्याम को एक होटल खोलकर देता हूँ।जिससे वह खुश हो जाएगा।और मेरी गलती का पश्चाताप भी हो जाएगा।
रमेश ने एक चौराहे पर एक दुकान खोल दी।और उसने श्याम को बुलाकर कहा।श्याम मुझे तेरे होटल में मुक्त खाना खाना हैं।
श्याम ने रमेश से कहा,"भाई मैं यह होटल नही चला पाऊंगा।
लेकिन जब रमेश समझाया तो श्याम मान गया।और बोला दोस्त मैं तुम्हारे इस एहसान का बदला कैसे चुकाऊंगा।
रमेश बोला मैं रोज तुम्हारे होटल में मुक्त का खाना खाने आऊँगा।
दोनो दोस्त हँसने लगे,और एक दूसरे को गले लगा लिया।
एक दोस्त दूसरे दोस्त की जरूर मदद करता हैं।
© Charan singh