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अदृश्य (पार्ट - 2 )

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तो कल तक आपने जाना की कैसे मैं अदृश्य से मिली।
अब आगे......✍️
अगली सुबह मेरा फिर वही रूटीन स्टार्ट हो जाता है । बाकी दिनों की तरह कॉलेज फिर घर ...!
पर उस दिन घर आने पर दृष्टि मेरे घर आई हुई थी ।उसने मुझे बोला
" sorry दी आपने मेरी इतनी हेल्प की ओर में आपको थैंक्यू भी नही बोल पाई । thanku so much !
मेने बोला अरे कोई न तुम तो मेरी छोटी बहन जैसी ही हो। I always want a little sis like you ! अच्छा हुआ तुम यहां रहने आई। ओर फिर मेने और दृष्टि ने मेरे घर पर ढेरो़ं बातें की ।
लेकिन मुझे एक चीज अजीब लगी ।दृष्टि ने मुझे अपने पूरे परिवार के किस्से सुना दिए लेकिन उन सब में उसके भाई अदृश्य का कोई जिक्र ही नहीं था।
मैं सोच मैं पड़ गई।
क्या वो अपने भाई को पसंद नही करती ।या उन दोनो की आपस में बनती नही होगी। पर तो क्या हुआ भाई बहनों में तो
अक्सर ऐसा चलता ही रहता है।
तभी दृष्टि ने मुझे टोका " अरे दी क्या हुआ किस सोच मैं पड़ गई ? कुछ पूछना है क्या मुझसे ?
मेने सोचा इससे पूछ लूं। लेकिन कुछ सोच कर रुक गई । ओर दृष्टि से बोला अरे कुछ नही बस ऐसे ही!
सोचा जब कभी इसके घर जाना होगा तो खुद ही बता देगी ये ।क्युकी वहा तो अदृश्य होगा ही।
इसके बाद कुछ दिन ऐसे ही बीत गई दृष्टि मुझे अक्सर बालकनी में दिख जाती थी। ओर उसके पेरेंट्स भी ! लेकिन उनके घर से अदृश्य मुझे कही आता जाता नही दिखा। पता नही घर में रहता भी था या नहीं ।
खैर कुछ दिन बाद दृष्टि का बर्थडे आया ।
ओर मैं भी वहा गई बाकी सारे तो उसके एज ग्रुप के बच्चे ही थे। ओर दृष्टि उनसे बातो में लग गई । इसलिए मैं बोर हो रही थी। फिर मैं उसके थर्ड फ्लोर वाली बालकनी में चली गई।जब मैं बालकनी से बाहर का व्यू देख रही थी । तभी पीछे से आवाज़ आई।
ओ आज इतने दिनो बाद ?
मेने पीछे मुड़कर देखा तो सामने अदृश्य था।
मेने उससे कहा । Mr. तुम्हारा नाम तुम पर बिल्कुल सूट करता है। तुम वाकई अदृश्य रहते हो।
यह सुनकर वो हसने लगा और कहा " at least तुम्हारे लिए तो नही!
मतलब? मेने कहा ।
तो बोला " मेरा मतलब जितना तुम्हे दिखता हूं उतना तो सोसायटी में किसी को नही दिखा ।
Hahah very funny ! मेने कहा ।की almost 1 month हो गए तुम्हे यह शिफ्ट हुए और अभी भी सबको लगता है की तुम्हारे घर में केवल तीन लोग ही है ! मुझे तो लगता है की तुम्हारे बारे में केवल मुझे ही पता है।
यह सुनकर वो हसने लगा और कहा maybe!
ओर यह बोलते हुए वो अंदर रूम में चला गया। ओर मेरी बात अधूरी ही रह गई।
फिर मैं नीचे आ गई और सोचा आज तो दृष्टि से उसके अजीब से भाई के बारे में पूछ ही लूंगी।
पर दृष्टि अपने गिफ्ट्स खोलने में busy थी। मेने उससे बोला दृष्टि वो ..
अरे दी कहा थी आप? चलो न मेरे गिफ्ट्स देखते है। ओर उसकी excitment को देखते हुए मैं उस दिन भी उससे कुछ नही पूछ पाई । रात ज्यादा हो गई थी इसलिए मैं भी जल्दी अपने घर आ गई।
खैर उस दिन के बाद अदृश्य मुझे अपने थर्ड फ्लोर वाली बालकनी में दिखने लगा ! क्युकी मैं भी अक्सर शाम के समय वहा टहलती थी। अब मेरी ओर अदृश्य की बातें भी होने लगी। मुझे पता चला कि वो डिस्टेंस एजुकेशन से अपनी music and art में पढ़ाई कर रहा है। उसने कहा की में म्यूजिक के प्रैक्टिस घर ही कर लेता है इसलिए तुम्हे कही बाहर जाते हुए नही दिखा ! ओर घर पर भी मैं बस अपना रियाज करता रहता हु। इसलिए मेरे घर वाले भी मुझे अक्सर भूल ही जाते है haha।
मेने कहा तुम अजीब हो अदृश्य!
खैर अपना टैलेंट तो दिखाओ कुछ सुनाओ मुझे!
फिर उसने उसका fav गाना मुझे सुनाया।
🎵" एक दिन आप यूं हमको मिल जाएंगे
फूल ही फूल राहों में खिल जाएंगे
मैने सोचा न था। 🎵🎵🎶🎶🎶... हम्ममहम्मम्मम 🎵🎵🎶🎶
वाह । what a melodious voice! अदृश्य ! वो बहुत खुश हुआ की मुझे उसका गाना पसंद आया । ओर फिर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा मैं शाम को बालकनी में जाती ओर लगभग रात तक मैं और अदृश्य देर तक बाते करते ओर वो मुझे 80 s , 90 s के गाने अपने अंदाज में सुनाता!
एक दिन ये सब मेरी एक फ्रेंड तान्या को पता चल गया जो की मेरी पड़ोसी भी थी।उसने मुझे कहा की मैं काफी दिनों से देख रही हूं तू शाम से लेकर रात तक बालकनी में बैठी रहती। ओर अकेले किससे बाते करती है?
दिमाग तो ठीक है ना तेरा ? आंटी को बताऊं क्या ?
मैं यह सुनकर हसने लगी ! मैंने कहा अकेले कहा देखा तूने मुझे ? तुझे अदृश्य नही दिखता क्या ? वही जो हमारे सामने अभी अभी शिफ्ट हुए
है न वर्मा जी का बेटा ! दृष्टि का भाई!
क्या ?? कोन सा भाई ? तान्या चौकतें हुए बोली ! वहा सिर्फ तीन ही लोग है यार पागल हो गईं है क्या ?
तभी मुझे याद आया ! oo तुम कहा से अदृश्य को जानोगी क्युकी अभी तक तो सोसायटी में मैं ही उससे मिली हूं ।कोई न तुझे भी मिलवा दूंगी ।
पर तान्या नही मानी बोली मुझे यकीन नही चल अभी चल वर्मा जी के घर ओर दिखा मुझे कहां है कोई अदृश्य ?
अब मुझे भी गुस्सा आ गया मेने बोला हां चलो चलते है।आज इस अदृश्य का पूरी सोसायटी से ही introduction करवा देती हु नही तो ये लोग मुझे पागल घोषित कर देगें।
फिर हम दोनो वर्मा जी के घर गए । वर्मा जी उनकी वाइफ और दृष्टि तीनों वही थे! मेने घर पहुंचते ही उनसे कहा दृष्टि अपने भाई को बुलाओ न ! अब बस बहुत हुआ उससे कहो की बाकी सबसे भी मिले ! इनके लगता है की तुम्हारी फैमिली में बस तीन ही लोग है !
यह सुनकर वो सभी लोग चौंक गए है।ओर mrs. verma ओर दृष्टि रोने लगे ! उसने कहा वो भाई तो.... !
मेने बोला क्या हुआ दृष्टि कुछ हुआ हैक्या ?
mr. verma बोले बेटा दृष्टि का भाई 1 साल पहले एक्सीडेंट में चल बसा और इसलिए हमने वो घर छोड़ दिया क्युकी वहा हम उसे बहुत याद करते थे !
यह सुनकर मेरे तो होश उड़ गए ! मतलब में लगभग 3-4 महीनों से जिससे बातें कर रही ही वो एक .....
तभी दृष्टि बोली लेकिन दी आप मेरे भाई को केसे जानती भाई केवल मुझे दिखते थे ! फिर हमने उनकी शांति के लिए पूजा भी करवाई थी।ओर पंडित जी के बोलने पर हमने वो घर छोड़ दिया मतलब भईया को अभी भी शांति नही मिली है। यह कहकर वो रोने लगी !
ओर मैं वहा खड़ी खड़ी अपनी बेवकूफी पर शर्मिंदा थी ! की केसे बिना किसी को बताएं उससे बात कर रही थी !! o God !!

abhi ke liye itna hi !
thanks for reading।🙏

stay tuned till the next part!

#nothingbutsomething