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बिक्रांत: एक गलत परवरिश
इस कहानी के सारे पात्र काल्पनिक है अगर वास्तविक जीवन से यह मिलता जुलता हो तो यह बस एक संजोग हैं ।

तो आज कल माता पिता अपने बच्चों को बिना जाने उनको मोबाइल खरीद देते हैं फिर उसी मोबाइल से बच्चे गंदी हरकतें करते हैं और अपने आप को इंटरनेट माफिया बना देते हैं । हा यह कहानी हैं माता पिता के गैरजिम्मेदारी की ।

एक दिन एक app पे एक कौस्तुप नाम का लड़का कॉमेंट कर रहा था पर दो तीन दिनों से एक अत्तू नाम का लड़का बिना किसी वजह उसके कॉमेंट्स पे बिना किसी वजह रिप्लाई करके अपमान कर रहा था इस से तंग आके कौस्तूप ने उस लड़के की काफी क्लास लगाई गालियां सुनाई अंत में बिक्रम जो कहानी का मुख्य पात्र हैं वो उधर प्रकट होते हैं और अपने मां बाप के दिए नेट से गालियां सुनाने लगते हैं । इसके जवाब में कौस्तप उन्हें गाली नही देते छोड़ क्युकी कौतूप जानते थे यह लड़का बिना कुछ जाने हीरो बनने की कोशिश कर रहा है। फिर कौस्तुप उसका न्याय app के निर्माता पे छोड़ देते हैं और एप के निर्माता योग्य न्याय करते हैं उसके बाद पता चलता हैं की बिक्रम बिना इजाजत उसके छायाचित्र का इस्तेमाल करता हैं और उसके चरित्र पे दाग लगाने की कोशिश करता हैं वो हुए हुए घटना के बारे में कुछ नही लिखता वोह बस कौस्तुप के चरित्र को मलिन करने की कोशिश में लगा रहता हैं । जिसमे कोई तथ्य दूर दूर तक नहीं होता और हमारी सोसाइंट में से कुछ लड़कियां उसका समर्थन करती नजर आती हैं उनको भी शायद मां बाप ने कुछ जादा नेट पैक दे दिया होगा की वो बीना जाने समर्थन करने लगी ।

इससे क्या सिख मिली ?? कभी किसी के मामले में बिना जाने अपनी नाक नही डालनी चाइए और मां बाप को भी समझना चाहिए अपनी औलाद की परवरिश के बारे में तो बच्चो को मोबाइल न दिया जाए ऐसे विनंती के साथ आज का लेख समाप्त हुआ ।।।।

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