बिना कहे सब कुछ कह दिया
सभी की ज़िंदगी में कुछ इस तरह की मखलूक वुजूद में ज़रूर होती है इसीलिए आज इसी विषय पर कलम ने कुछ लिखा है. मैं कभी इस तरह के विषय लिखती नहीं हूँ लेकिन इस वीक एक घटना ने मुझे ये लिखने पर मजबूर कर दिया.
हुआ ये था कि हम एक जगह डिनर पर गए हुए थे.. वहाँ मेजबान के कुछ और रिश्तेदारों को भी आना था. हम उनसे पहले पहुँच गये थे. अब जब वो लोग घर में दाखिल हुए तो मेजबान से बोले..
"घर तो बड़ा शानदार है आपका, क्या ऊपर भी कमरे हैं? ज़रा अपना घर घुमाएं... यहाँ क्या है, वहाँ क्या है, किराया कितना है, क्या ऐसा घर और भी खाली है, घर की साज सजावट बड़ी शानदार है, क्या ये आपका शौक़...
हुआ ये था कि हम एक जगह डिनर पर गए हुए थे.. वहाँ मेजबान के कुछ और रिश्तेदारों को भी आना था. हम उनसे पहले पहुँच गये थे. अब जब वो लोग घर में दाखिल हुए तो मेजबान से बोले..
"घर तो बड़ा शानदार है आपका, क्या ऊपर भी कमरे हैं? ज़रा अपना घर घुमाएं... यहाँ क्या है, वहाँ क्या है, किराया कितना है, क्या ऐसा घर और भी खाली है, घर की साज सजावट बड़ी शानदार है, क्या ये आपका शौक़...