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टूटा ख्वाब
एक दिन की बात है जब मैं छत पर बैठी हुई थी तभी मैंने देखा पश्चिम की तरफ सूरज धीरे-धीरे अस्त हो रहा था
कुछ देर बाद देखा तो सूरज अस्त हो चुका था
मैं छत पर बैठी ही थी तभी अचानक मेरी नजर आकाश को निहारने लगी मैंने देखा चारों तरफ काली काली घटाएं मानो मुझे आलिंगन कर रही हैं
उन बादलों को देखकर ऐसा लगा मानो में इन बादलों की घटाओं की जैसे इंद्रलोक की अप्सरा हूं
सब अपने क्रियाकलापों द्वारा हमें रिझाने की
कोशिश में लगे हैं
मैं खयालों की दुनिया में पूरी तरह खो जाती हूं
ख्वाब में देख रही हूं कि एक समुद्र है जो बहुत ही लंबा है उसके किनारे अनेक झाड़ियां और घने घने वृक्ष खड़े हुए हैं उस समुद्र के किनारे ऊंचे नीचे पहाड़ समूह में है
एक के बाद एक पंक्ति में है
उन रंग-बिरंगे पहाड़ों को देखकर मेरा मन गदगद होने लगता है और मैं चीख पड़ती हूं तभी मेरी दृष्टि दूसरे बादल पर जाती है उसे बादल को देखकर ऐसा लग रहा था मानो सुंदर वन डेल्टा हो
कहीं हाथी कहीं गरुड़ तो कहीं घोड़े तो कहीं ब्रह्मा जी नजर आते हैं
कहीं तो परी लोक से आई परियां छुपन छुपाई खेल रही हैं
मेरा मन उन बादलों से बातें करता हुआ उनके बीच पहुंच जाता है
उन ठंडी ठंडी हवाओं में सांस लेता हुआ नीचे आ जाता है
मैं एक टक देख ही रही थी तभी अचानक बारिश होने लगती है
मैं भाग कर जीने में खड़ी हो जाती हूं और कह उठती हूं इस बारिश ने तो सारा मजा खराब कर दिया
मैं चुपचाप बैठी हुई थी थोड़ी ही देर बाद बारिश बंद हो गई
मैने बड़ी उत्सुकता से निकल कर देखा तो वही रंग बिरंगी चित्रों की अबली थी उस बादल के रंग मंच पर मानो सुंदर स्त्रियां नृत्य कर रही हैं
मैं उन चित्रों को देखकर झूम उठती हूं
जिस तरह छोटे बच्चे का खिलौना छीनकर पुनः उसे दे दिया जाए तो वह बच्चा प्रसन्न हो जाता है
उसी प्रकार लेखिका भी खुशी से बावली हो रही थी ठीक उसी प्रकार मुझे लगा कि मेरे खिलौने को किसी ने गायब कर दिया हो लेखिका का दुखी मन देखकर पुनः उसी जगह पर रख दिए हो मेरी नजर उन चित्रों से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी
तभी मां की आवाज सुनाई देती है मैं अनसुनी कर देती हूं
वही स्वर फिर सुनाई पड़ता है मैं बेमन
से नीचे चली जाती हूं मेरे बादलों के सपने ही समाप्ति होती है।।

बादलों में सपने देखे तो क्या हुआ
सपने कभी अपने नहीं होते
जो अपने होते हैं वो सपने नहीं होते ।।
© Mamta