Relationship: A bond of care, concern and affection.
हमारा घर भी अजूबा घर हैं... 🙄🤦♀️😂😂
दुनिया के पुरुषों की और ही दिक्कते हैं
और हमारे घर के पुरुषों की और ही दिक्कतें हैं 🤦♀️..
दुनियाँ के पुरुष इस बात से परेशान हैं
के सांस बहूं मे आपस मे बनती नहीं..
भाभी ननंद मे आपस मे बनती नहीं...
और हमारे घर के पुरुषों की परेशानी ही ये..🤦♀️🙄
के इनमे आपस मे इतना क्यों बनती हैं😂😂😂.. 🤦🏻♀️ लो और परेशानी बची हैं दुनियाँ मे... 🙄🤦♀️..
हाल ही मे कुछ वक्त पहले माँ का phone आया था....
... माँ बोली...
बुआ और माँ बैठ के बातें कर रहे होंगे..
may be चाय पीते हुए..
वे अकसर युं मित्र की तरह बैठ कर बातें करते हैं
उस पर पापा आके कहते हैं
मैंने सुना हैं... सास बहुं की आपस मे बनती नहीं,
नन्द भाभी की आपस मे बनती नहीं
मग़र यहां तो सबकी सबसे पटती हैं
एक मेरे साथ ही सबकों problem होती हैं..
उधर घर मे भी देखता हूं
दीप की उसकी भाभी का
आपस मे इतना अच्छा हैं
इतने अच्छे से साथ रहते हैं
और वो अपने भतीजी को भी इतना प्यार करती हैं
एक मुझमें ही कहीं problem हैं...🙄..😂😂😂
ये सुन माँ और बुआ जोरों से हस पड़े 😂😂😂
और यहाँ मैं ये बात सुन हस 😂😂 पडी...
फ़िर मैंने कहा
हाँ तो problem पता हैं
तो काम करो ख़ुद पे... !
फ़िर यहाँ मेरा भाई भी...
जब कभी उनके आपस मे झगड़े होंगें..
बोलेगा...
तुम लोगों ने ही इसको सिर पे चढ़ा के रखा हैं..
और ख़ास मैंने 🙄..
इसीलिए बिगड़ रही हैं 😂😂😂..
मैंने कहा और कोई बात हैं... 🤦♀️😂😂
फ़िर अभी हाल ही में Siliguri से भाभी का फोन आता हैं
कुछ बात हो रही थी...
भाभी थोड़ा किसी बात पर शिकायत सा कर रही थी,
के बोलो सुबेह से गए बोलके भी नहीं गए..
मैं इतना चिंता कर रही थी..
एक फोन भी नहीं उठा रहे..
तो मैंने उसकी बात पर सहमती जताई
(हालाकि मेरे काम से ही वह कही गया था वहां सो मुझे तो पता था)
phone speaker पे था
भाई पीछे से सुन रहा था...
बोला ...
हाँ तु तो उसी का साथ देगी ना...
तुं कोनसा मेरा support करेगी
me like 🙄...😂😂😂..
बोलो और कोई complain बची हैं दुनियाँ मे... 🙄🤦♀️
दोनों का आपस मे जब कभी झगडा होता हैं...
(हालाँकि उनके झगड़े भी इतने बेतुके होते हैं 🤦♀️)
मेरी भाभी mummy को फोन करके कहती हैं,
मैं तुम लोगों के पास आ जाऊंगी...
मैं नई रह सकती तुम्हारे बेटे के साथ 🤦♀️😂😂😂
अब बोलो...
मैंने सुना था...
लड़के लड़की मे झगडा होता हैं तो वो धमकी देती हैं
के मैं मायके चली जाऊंगी..
यहाँ मेरी भाभी धमकी देती हैं...
मैं ससुराल चली जाऊंगी... 😂😂😂
और कुछ बचा हैं...🙄🤦♀️!?
फ़िर माँ उसे समझाती हैं तुम्हारी शादी उससे हुई हैं या हमसे....
मैं ये तो ना कहूंगी के मेरी माँ एक perfect सांस हैं
या भाभी एक perfect बहु....
नहीं कतापी नहीं...
किंतु हर इंसान मे कुछ कमी तो रहेगी ही...
सदा रहेगी...
एक शून्य ही हैं जगत मे जिसमें कोई कमी नहीं
ना minus हैं ना plus...
और शून्य का संसार से कोई लेना देना नहीं
कम ज़्यादा हर व्यक्ति मे कुछ ना कुछ कमी सदेव रहेगी..
बात यह हैं....
जैसे आप ख़ुद को अपनी कमी के साथ स्वीकारते हो...
वैसे ही आप दूसरे को कितना स्वीकार पाते हैं... !
यह महत्वपूर्ण हैं!
और बात जब संबंध की आती हैं...
कोई भी संबंध हो...
तो इसमें दोनों का contribution होता हैं...
पुरा पुरा contribution!
अब इस रिश्तें मे यदि balance रह पाता हैं...
तो इसका credit पुरा पूरी मैं ख़ुद नहीं ले सकती,
या मेरी माँ को नहीं दे सकती.
बहुत सारा contribution मेरी भाभी का भी निश्चित रूप से हैं...
तभी चीज़े balanced हैं
ये बात सही हैं...
के we all three sisters and specially me..
love her very much...
always look for her comfort ...
her wellbeing....
and she tries to do the same...
if not upto that level...atleast,
she tries... to be like us
and that's enough...
atleast she is trying..
(यही बात हैं ना ...प्रेम देने से प्रेम मिलता हैं,
यदि व्यक्ति आपके प्रेम के प्रति receptive हो)
at least she has a respect for what's given to her,
that's enough to maintain the relationship...
because the giver never expect much in return in any relationship...
but what if you keep on giving love,
keep on giving love...
and they are not even recceptive towards..
what you are giving or give her..
what if all just goes in vain
so in that manner...
I See if she is lucky to have us,
we are even lucky to have her....
and I really mean it...
again I am saying...
I am not saying...
she is perfect...
as we are also not...
but I can say she is perfect for our home,
because हमारे घर की खूबी और खामियां मुझे पता हैं..
and she has best suited in the condition.
जो कोई और कर पाता नहीं कर पाता can't say..
definitely...
she will be different
as born out of diffrent womb,
boughted up in a different family,
around different culture and place...
with different mind set...
and it's normal... !
That she will be diffrent from all of us..
but in any relationship...
it's not about How much differences you have,
but it's about...
how much you can accept each other as they are... with all the differences
it's totally about the acceptence and love you put into that.
As we three sisters born out of same Mother's womb, yet we are so diffrent from each other...
एक पूरब हैं तो दुजा पश्चिम तो तीसरा दक्षिण🤦♀️
.... yet we are bound to accept each other, right!?
as we are in a blood relationship...
We have no option actually.
इन रिश्तों को हम चाहकर भी तोड़ नहीं सकते हैं
बांगला मे एक शब्द कहते हैं...
रौकते -र- टान ( खून का खिचाव)...
वो एक दूजे के दर्द easily महसूस करने पर मजबूर करता हैं आपको!
क्योंकि वही रक्त (blood) सब मे बह रहा हैं,
उसकी अपनी gravity होती हैं...
we cannot break that...it's true!
at least in this life time,
we cannot.
But In relations, where you have no blood connection or blood relation...
you need to connect and build that relation from heart, you need to be very aware
you need to nuture it
with lots of care and love...
भाई बहन तो लड़ेंगे झगड़ेंगे फ़िर एक हो जाएंगे..
मग़र वह रिश्तें जहां खून का संबंध स्थापित नहीं होता..
वहा उसे बहुत प्यार से संभालना होता हैं,
बहुत careful रहना होता हैं...
भाई बहन की कोई बात बुरी लगी देर सवेर
वे भुला ही दिए जाएंगे...
मग़र इन रिश्तों पर जो चोट किए जाते हैं इनके जख़्म गहरे होते हैं... जख्मों को भुलाने के उपाय कम होते हैं
क्योंकि... इन रिश्तों को जोड़े रखने वाली कोई दूसरी कड़ी नहीं होती...
इन्हें संभालने के लिए निश्चित ही इसे हृदय के धागे से इन्हें पिरोना होता हैं...!
खैर यह तो बात हुई रिश्तें की...
किंतु यूँ भी एक लड़की जब अपना पुरा बचपन
अपना पुरा संसार अपने , अपने माँ बाप का घर छोड़ कर
आपके घर आती हैं...
जगत इस बात को समझ नहीं पाता के यह जगत और वह परिवार उस लड़की के sacrifice का ऋणी हैं,
जो आपके घर के बेटे की दुनियाँ बसाने के लिए अपनी दुनियाँ पीछे छोड़ आई...
(उसी कारण यह संसार चल रहा हैं)
कोई भी लड़की
कितने ही आर्थिक रूप से असक्षम घर से भी क्यों ना हो..
दुनियाँ की करोड़ो की संपत्ति भी अपने माँ बाप के घर की अदाईगी नहीं कर सकती...
एक लड़की अपना घर छोड़के आती हैं तो हम यूँ act करते हैं...
जैसे हमने उस पर कितना बड़ा एहसान किया अपने बेटे की शादी कराके...
उसे इस घर मे रहने दे रहे हैं...
हकीकत यह हैं की ससुराल सदा लड़की और,
उसके माँ बाप का ऋणी रहता हैं क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी दी हैं...
ससुराल वाले ने उन्हें कुछ नहीं दिया...
खैर तब जब एक लड़की अपना घर छोड़ आपके घर आती हैं...
उस पूरे घर की ज़िम्मेदारी बन जाती हैं..
किस तरह उसके जीवन को सहज कर सके...
क्योंकि उस परिवार को महज़ एक नए व्यक्ति के साथ adjust करना हैं,
मग़र उस नई लड़की को तो एक पूरी दुनियाँ के साथ adjust करना हैं
उसका काम way difficult होता हैं..
जितना lightly जगत उसे लेता हैं... ।
उसको कितने रिश्तों के साथ adjust करना होता हैं,
जितना बड़ा परिवार उतने लोग।
परिवार मे जितने लोग उस हिसाब से adjustment..
(और आज कल इस बात पे debate चलता हैं,
महज़ अपनी चंद कौड़ी की populority के लिए
और आधी बुद्धि का ज्ञान लेके आ जाते हैं...
कहते हैं...
"तुम कल की आई लड़की आके एक लड़के से
आके कह देती हो...
मुझे तुमहारे माँ बाप के साथ नहीं रहना ...
जिन्होंने उसे पाल पोस के बड़ा किया...
सोचो उस लड़के पर क्या बित्ति होगी... "
इसीलिए कहते हैं अद्गुनि से अज्ञानी भला...
बिना पैर के सिर की बात करते हैं...
एक लड़की अगर ऐसा कह रही हैं उसके पीछे भी तो कई वजह हो सकती हैं....
आप बतादो...
कितनी सांस हैं जो वाकई एक बहुँ के जीवन मे माँ की जगह ले पाई... ?
मग़र
जो आप बहुँ से बेटी बनने की अपेक्षा करते हो...
और क्यों एक लड़की नहीं आई अपना घर छोड़ के आपके बेटे के लिए उसे अपने माँ बाप से बिछड़ने का
उसे कोई दुख नहीं हुआ होगा!?
और क्यों बेटा जब abroad चला जाता हैं पढ़ने,
और वही नोकरी कर वही sattel हो जाता हैं...
तब तो माँ बाप को कोई दुख नहीं होता
तब तो बड़ा फक्र होता हैं मेरा बेटा abroad मे sattle हैं।
किंतु बहु के मामले मे बात दूरी की नहीं आती
Ego की आती हैं...
हां if एक स्त्री माँ बाप की property का हिस्सा मांग रही हैं... माँ बाप को माँ बाप के घर से ही निकालने की कोशिश करती है तब वह गलत हैं..
बेटे को माँ बाप के लिए कुछ करने से रोकती हैं तो वह ग़लत हैं...
किंतु सांस के torture के वजह से ..
अपने जीवन में शांति और सुकूँ के लिए यदि ऐसा करती हैं तो वह ग़लत नहीं है..
ग़लत वह तब हैं जब वह किसी के साथ ग़लत कर रही हैं..
यदि वह अपने सही के लिए कुछ कदम उठाती हैं तो वह ग़लत नहीं हैं...
सुकूँ से जीवन जीने का अधिकार सबका हैं
यह नहीं की पराए घर से आई हैं तो आप अपने घर की उसे बंदिनी बना के रखेंगे..
एक स्त्री का जो भी अधिकार हैं
उसका जो भी अधिकार हैं उसके अपने पति पर हैं
और जो पति कमाता हैं उस पर...
क्योंकि उसी के लिए वह अपना घर छोड़ आई हैं... और उसी के बच्चे को वो पाल रही हैं या पालेगी...
माता पिता की संपति उनकी अपनी कमाई हैं
और उनकी संपति से ना उसे हिस्सा मांगने का अधिकार हैं...
और ना ही.. उन्हें बेदखल करने का...
किंतु इस तरह की महिलाएं आपको 20 to30% ही मिलेगी maximum महिलाएं जैसी की तैसी परस्थिति मे adjust करने की कोशिश करती हैं
कम से कम मैं जितना देखती हूँ
क्योंकि एक स्त्री प्राकृतिक रूप से स्वेदंशील होती हैं..
और उसके लिए उसकी असल संपदा उसके पति का प्रेम ही होता हैं...
और अक्सर एक लड़की के लिए ससुराल मे अधिक मुश्किल तब हो जाता हैं...
जब पति भी उसे नहीं समझता या उसका साथ नहीं देता..
तब यदि अपने mantle peace के लिए अलग होना चाहती हैं...
तो वहा वो गलत नहीं हैं..
क्योंकि घर की महिला का peaceful रहना बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि उसे अपने बच्चे को भी एक peaceful जीवन देना होता हैं
बाकी किसी को इसकी पड़ी नहीं होती..
हाँ मैं समझती हूँ एक लड़की जब बहुँ बन आपके
घर आती हैं तो उसकी भी कई ज़िम्मेदारी होती हैं
किंतु प्रश्न आपको अपने आपसे पूछने की ज़रूरत हैं के क्या आपने अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभा ली?
क्या आपने उसे वह enviroment दिया हैं
जिसमें वह अपनी ज़िम्मेदारी बखूभी निभा सके!?
हम बहने इस बात को लेकर अक्सर बहुत संवेदनशील रहते हैं..
एक लड़की अपना घर छोड़ के आपके घर आई हैं
हम उसे maximum खुश रखने की कोशिश करते हैं..
इस पर भाई कई बार टिप्पणी करता हैं..
मेरी तो कोई इज्जत ही नहीं 😂😂..
कोई कदर ही नहीं हैं 😂😂
सब उसके लिए मेरे को कोई कुछ नहीं कुछ नहीं करता मुझे कोई कुछ नही देता.... ।
ये सच्ची बात हैं के अगर भाई और उसमें कभी कोई झगडा हो जाता हैं और उसका मन खराब हो जाता हैं वह उदास हो जाती हैं, सच हम सबका मन ख़राब हो जाता हैं.. हमें भी ज़रा भी अच्छा नहीं लगता।
माँ का भी मन ख़राब हो जाता हैं..
माँ भाई को डांटती भी हैं।
एक लड़की जब अपने माता पिता से दूर हैं..
एक पति भी उसका साथ ना दे उस पर क्या बित्ति होगी..
नहीं मैं यह नहीं कह रही के उसकी ग़लत बातों मे भी उसका साथ दे दे..
नहीं मग़र यदि वह ग़लत भी हैं तो उसे प्यार से भी समझाया जा सकता हैं... बेवजह गुस्सा करने की जगह..।
मैं समझती हूँ बेवजह किसी स्त्री का आपको दिल नहीं दुखाना चाहिए..
वो मेरा भाई हो या पिता... आप कमा के ला रहे हैं तो..
वो भी कोई घर में आराम नहीं कर रही..
आपके बच्चे युही नहीं बड़े हो जाते..आप वहा पैसा कमा के लाते हैं तो पैसें को रोटी में तब्दील करने का काम वो करती हैं..
आप पैसा तो नहीं खा सकते ना..
आप वहा अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं तो sleeping hours के अलावा 24×7 वो घर मे duty निभाती हैं... बिना छुट्टी के...
हालाँकि मुझे ख़ुशी होती हैं इस बात की..
जब भाभी कहती हैं नहीं आपका भाई मुझे काम में तो बहुत help करता हैं..
बस गुस्सा थोड़ा ज्यादा हैं इनका...
वो तो मुझे पता हैं !
खैर... कल की तो मैं नहीं कह सकती
क्योंकि relationship कोई हो it needs constant efforts... from both the ends to succeed or to maintain the balance.
and मुझे ख़ुशी होतीं हैं..
जब लोग ऐसा कहते हैं बहु आई हैं नाथ भाई साब के घर की...
मुझे ख़ुशी होती हैं 😊.. .
उसकी प्रशंशा हमारी प्रशंशा एक ही हुई ना..
कई बार जिन्हें पता नहीं होता वे उसे घर की बेटी समझ लेते हैं... hospital में admit होती हैं तो..
वो बच्चे की तरह माँ के काँधे पर सिर रख बैठ जाती हैं.. 😊 यह दृश्य देख मुझे सच इतनी ख़ुशी होती है मैं क्या बताऊँ...
कुछ कमियाँ मेरे भाभी में भी हैं,
कुछ कमियाँ मेरी माँ में भी हैं...
और कुछ कमियाँ मुझमें भी हैं...
किंतु एक दूजे की कमियाँ देख एक साथ आपस में जी तो नहीं सकते...
कोई भी रिश्तें में..
रिश्ता कोई भी हो, पहली शर्त..
एक दूजे को एक दूजे की कमी के साथ स्वीकारना हैं..
वरना रिश्ता निभाना बहुत मुश्किल हो जाएगा..
हमें दूजे की कमियाँ खलेगी और अपनी कमी दिखेगी नहीं..
और इस तरह से रिश्तें हम नहीं जी सकते...
इसीलिए ही पहले दिन ही जब भाभी घर पे आई मैंने पहली बात उन्हें यही समझाई...
देखो जो बड़े होते हैं ना हम उनसे लड़ नहीं सकते
क्योंकि वे उमर के एक पढाव को पार कर चुके हैं जहां हम उन्हें बदल नहीं सकते... और क्योंकि वो जिस जमाने मे जनमे, जिस जमाने में उन्होंने जीवन जिया उनके जीवन और हमारे जीवन में बहुत बड़ा फ़ासला हैं
वे तो बदल नहीं सकते तो हमें ही कुछ चीजों के प्रति अपनी acceptance को बढाना पड़ेगा,
अगर मेरी माँ की कोई बात तुम्हें बुरी लगे तो उन्हें माफ़ कर देना...
हालाँकि जब कहीं माँ ग़लत होती हम माँ को समझाते...
और कहीं यदि भाभी की गलती होती हम सहज उसकी गलती नहीं बताते... क्योंकि वह दूसरे घर की लड़की हैं..
उसके साथ हमें बहुत स्वेदशीलता से पेश आना होगा..
माँ को कोई बात बुरी लगी तो वो रूठेगी फ़िर मान जाएगी...
किंतु इन रिश्तों में दोनों ही पक्ष को बड़ी सावधानी रखनी पड़ती हैं...
जो रिश्तों की डोर खून से नहीं बंधी होती हैं... ।
कई कई जगह mummy ग़लत होती हैं मैं जानती हूँ..
क्योंकि थोड़ा ग़ुस्सा कर देती हैं..
पर वह उस पर ही नहीं ठीक हम पर भी mummy ऐसे ही गुस्सा करती हैं...
मग़र फ़िर कई बार उसके खानें पीने और कई मामलों में उसका बहुत ध्यान भी रखती हैं...
माँ की खूबी के लिए माँ को
धन्यवाद और भाभी की खूबी के लिए उनको धन्यवाद..
बस.. महज़ एक दूसरे के प्रति आभार और स्वीकार होने भर से ही तो रिश्तें सहज हो जाते हैं।
खामियां तो बनी रहेंगी..
खामियां गिनते बैठेंगे तो... सहज रिश्तें भी कठिन हो जाएंगे...
इसीलिए किसी को बदलने की कोशिश किए बिना हमें अपनी कमियों पर काम करना चाहिए..
और दूजे को as it is accept करने की कोशिश सदेव करते रहनी चाहिए..
जब तक कोई किसी का नुकसान नहीं कर रहा..
why we need to control somebody!?
सांस हो या बहु।
नन्द हो या भाभी... ।
हर व्यक्ति को दूसरे को दोषी ठेहरा ने के बजाय अपनी गलती की ज़िम्मेदारी स्वयम लेनी चाहिए
और एक दूसरे को ख़ुशी देने की कोशिश करते रहनी चाहिए...
और रिश्ता द्विपक्षीय चीज़ हैं.. महज़ एक के.. प्रयत्न से इसे सफ़ल व सहज बनाना कठिन हैं.. फ़िर रिश्ता चाहें जो कोई हो।
20.2.2024
© D💗L
दुनिया के पुरुषों की और ही दिक्कते हैं
और हमारे घर के पुरुषों की और ही दिक्कतें हैं 🤦♀️..
दुनियाँ के पुरुष इस बात से परेशान हैं
के सांस बहूं मे आपस मे बनती नहीं..
भाभी ननंद मे आपस मे बनती नहीं...
और हमारे घर के पुरुषों की परेशानी ही ये..🤦♀️🙄
के इनमे आपस मे इतना क्यों बनती हैं😂😂😂.. 🤦🏻♀️ लो और परेशानी बची हैं दुनियाँ मे... 🙄🤦♀️..
हाल ही मे कुछ वक्त पहले माँ का phone आया था....
... माँ बोली...
बुआ और माँ बैठ के बातें कर रहे होंगे..
may be चाय पीते हुए..
वे अकसर युं मित्र की तरह बैठ कर बातें करते हैं
उस पर पापा आके कहते हैं
मैंने सुना हैं... सास बहुं की आपस मे बनती नहीं,
नन्द भाभी की आपस मे बनती नहीं
मग़र यहां तो सबकी सबसे पटती हैं
एक मेरे साथ ही सबकों problem होती हैं..
उधर घर मे भी देखता हूं
दीप की उसकी भाभी का
आपस मे इतना अच्छा हैं
इतने अच्छे से साथ रहते हैं
और वो अपने भतीजी को भी इतना प्यार करती हैं
एक मुझमें ही कहीं problem हैं...🙄..😂😂😂
ये सुन माँ और बुआ जोरों से हस पड़े 😂😂😂
और यहाँ मैं ये बात सुन हस 😂😂 पडी...
फ़िर मैंने कहा
हाँ तो problem पता हैं
तो काम करो ख़ुद पे... !
फ़िर यहाँ मेरा भाई भी...
जब कभी उनके आपस मे झगड़े होंगें..
बोलेगा...
तुम लोगों ने ही इसको सिर पे चढ़ा के रखा हैं..
और ख़ास मैंने 🙄..
इसीलिए बिगड़ रही हैं 😂😂😂..
मैंने कहा और कोई बात हैं... 🤦♀️😂😂
फ़िर अभी हाल ही में Siliguri से भाभी का फोन आता हैं
कुछ बात हो रही थी...
भाभी थोड़ा किसी बात पर शिकायत सा कर रही थी,
के बोलो सुबेह से गए बोलके भी नहीं गए..
मैं इतना चिंता कर रही थी..
एक फोन भी नहीं उठा रहे..
तो मैंने उसकी बात पर सहमती जताई
(हालाकि मेरे काम से ही वह कही गया था वहां सो मुझे तो पता था)
phone speaker पे था
भाई पीछे से सुन रहा था...
बोला ...
हाँ तु तो उसी का साथ देगी ना...
तुं कोनसा मेरा support करेगी
me like 🙄...😂😂😂..
बोलो और कोई complain बची हैं दुनियाँ मे... 🙄🤦♀️
दोनों का आपस मे जब कभी झगडा होता हैं...
(हालाँकि उनके झगड़े भी इतने बेतुके होते हैं 🤦♀️)
मेरी भाभी mummy को फोन करके कहती हैं,
मैं तुम लोगों के पास आ जाऊंगी...
मैं नई रह सकती तुम्हारे बेटे के साथ 🤦♀️😂😂😂
अब बोलो...
मैंने सुना था...
लड़के लड़की मे झगडा होता हैं तो वो धमकी देती हैं
के मैं मायके चली जाऊंगी..
यहाँ मेरी भाभी धमकी देती हैं...
मैं ससुराल चली जाऊंगी... 😂😂😂
और कुछ बचा हैं...🙄🤦♀️!?
फ़िर माँ उसे समझाती हैं तुम्हारी शादी उससे हुई हैं या हमसे....
मैं ये तो ना कहूंगी के मेरी माँ एक perfect सांस हैं
या भाभी एक perfect बहु....
नहीं कतापी नहीं...
किंतु हर इंसान मे कुछ कमी तो रहेगी ही...
सदा रहेगी...
एक शून्य ही हैं जगत मे जिसमें कोई कमी नहीं
ना minus हैं ना plus...
और शून्य का संसार से कोई लेना देना नहीं
कम ज़्यादा हर व्यक्ति मे कुछ ना कुछ कमी सदेव रहेगी..
बात यह हैं....
जैसे आप ख़ुद को अपनी कमी के साथ स्वीकारते हो...
वैसे ही आप दूसरे को कितना स्वीकार पाते हैं... !
यह महत्वपूर्ण हैं!
और बात जब संबंध की आती हैं...
कोई भी संबंध हो...
तो इसमें दोनों का contribution होता हैं...
पुरा पुरा contribution!
अब इस रिश्तें मे यदि balance रह पाता हैं...
तो इसका credit पुरा पूरी मैं ख़ुद नहीं ले सकती,
या मेरी माँ को नहीं दे सकती.
बहुत सारा contribution मेरी भाभी का भी निश्चित रूप से हैं...
तभी चीज़े balanced हैं
ये बात सही हैं...
के we all three sisters and specially me..
love her very much...
always look for her comfort ...
her wellbeing....
and she tries to do the same...
if not upto that level...atleast,
she tries... to be like us
and that's enough...
atleast she is trying..
(यही बात हैं ना ...प्रेम देने से प्रेम मिलता हैं,
यदि व्यक्ति आपके प्रेम के प्रति receptive हो)
at least she has a respect for what's given to her,
that's enough to maintain the relationship...
because the giver never expect much in return in any relationship...
but what if you keep on giving love,
keep on giving love...
and they are not even recceptive towards..
what you are giving or give her..
what if all just goes in vain
so in that manner...
I See if she is lucky to have us,
we are even lucky to have her....
and I really mean it...
again I am saying...
I am not saying...
she is perfect...
as we are also not...
but I can say she is perfect for our home,
because हमारे घर की खूबी और खामियां मुझे पता हैं..
and she has best suited in the condition.
जो कोई और कर पाता नहीं कर पाता can't say..
definitely...
she will be different
as born out of diffrent womb,
boughted up in a different family,
around different culture and place...
with different mind set...
and it's normal... !
That she will be diffrent from all of us..
but in any relationship...
it's not about How much differences you have,
but it's about...
how much you can accept each other as they are... with all the differences
it's totally about the acceptence and love you put into that.
As we three sisters born out of same Mother's womb, yet we are so diffrent from each other...
एक पूरब हैं तो दुजा पश्चिम तो तीसरा दक्षिण🤦♀️
.... yet we are bound to accept each other, right!?
as we are in a blood relationship...
We have no option actually.
इन रिश्तों को हम चाहकर भी तोड़ नहीं सकते हैं
बांगला मे एक शब्द कहते हैं...
रौकते -र- टान ( खून का खिचाव)...
वो एक दूजे के दर्द easily महसूस करने पर मजबूर करता हैं आपको!
क्योंकि वही रक्त (blood) सब मे बह रहा हैं,
उसकी अपनी gravity होती हैं...
we cannot break that...it's true!
at least in this life time,
we cannot.
But In relations, where you have no blood connection or blood relation...
you need to connect and build that relation from heart, you need to be very aware
you need to nuture it
with lots of care and love...
भाई बहन तो लड़ेंगे झगड़ेंगे फ़िर एक हो जाएंगे..
मग़र वह रिश्तें जहां खून का संबंध स्थापित नहीं होता..
वहा उसे बहुत प्यार से संभालना होता हैं,
बहुत careful रहना होता हैं...
भाई बहन की कोई बात बुरी लगी देर सवेर
वे भुला ही दिए जाएंगे...
मग़र इन रिश्तों पर जो चोट किए जाते हैं इनके जख़्म गहरे होते हैं... जख्मों को भुलाने के उपाय कम होते हैं
क्योंकि... इन रिश्तों को जोड़े रखने वाली कोई दूसरी कड़ी नहीं होती...
इन्हें संभालने के लिए निश्चित ही इसे हृदय के धागे से इन्हें पिरोना होता हैं...!
खैर यह तो बात हुई रिश्तें की...
किंतु यूँ भी एक लड़की जब अपना पुरा बचपन
अपना पुरा संसार अपने , अपने माँ बाप का घर छोड़ कर
आपके घर आती हैं...
जगत इस बात को समझ नहीं पाता के यह जगत और वह परिवार उस लड़की के sacrifice का ऋणी हैं,
जो आपके घर के बेटे की दुनियाँ बसाने के लिए अपनी दुनियाँ पीछे छोड़ आई...
(उसी कारण यह संसार चल रहा हैं)
कोई भी लड़की
कितने ही आर्थिक रूप से असक्षम घर से भी क्यों ना हो..
दुनियाँ की करोड़ो की संपत्ति भी अपने माँ बाप के घर की अदाईगी नहीं कर सकती...
एक लड़की अपना घर छोड़के आती हैं तो हम यूँ act करते हैं...
जैसे हमने उस पर कितना बड़ा एहसान किया अपने बेटे की शादी कराके...
उसे इस घर मे रहने दे रहे हैं...
हकीकत यह हैं की ससुराल सदा लड़की और,
उसके माँ बाप का ऋणी रहता हैं क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी दी हैं...
ससुराल वाले ने उन्हें कुछ नहीं दिया...
खैर तब जब एक लड़की अपना घर छोड़ आपके घर आती हैं...
उस पूरे घर की ज़िम्मेदारी बन जाती हैं..
किस तरह उसके जीवन को सहज कर सके...
क्योंकि उस परिवार को महज़ एक नए व्यक्ति के साथ adjust करना हैं,
मग़र उस नई लड़की को तो एक पूरी दुनियाँ के साथ adjust करना हैं
उसका काम way difficult होता हैं..
जितना lightly जगत उसे लेता हैं... ।
उसको कितने रिश्तों के साथ adjust करना होता हैं,
जितना बड़ा परिवार उतने लोग।
परिवार मे जितने लोग उस हिसाब से adjustment..
(और आज कल इस बात पे debate चलता हैं,
महज़ अपनी चंद कौड़ी की populority के लिए
और आधी बुद्धि का ज्ञान लेके आ जाते हैं...
कहते हैं...
"तुम कल की आई लड़की आके एक लड़के से
आके कह देती हो...
मुझे तुमहारे माँ बाप के साथ नहीं रहना ...
जिन्होंने उसे पाल पोस के बड़ा किया...
सोचो उस लड़के पर क्या बित्ति होगी... "
इसीलिए कहते हैं अद्गुनि से अज्ञानी भला...
बिना पैर के सिर की बात करते हैं...
एक लड़की अगर ऐसा कह रही हैं उसके पीछे भी तो कई वजह हो सकती हैं....
आप बतादो...
कितनी सांस हैं जो वाकई एक बहुँ के जीवन मे माँ की जगह ले पाई... ?
मग़र
जो आप बहुँ से बेटी बनने की अपेक्षा करते हो...
और क्यों एक लड़की नहीं आई अपना घर छोड़ के आपके बेटे के लिए उसे अपने माँ बाप से बिछड़ने का
उसे कोई दुख नहीं हुआ होगा!?
और क्यों बेटा जब abroad चला जाता हैं पढ़ने,
और वही नोकरी कर वही sattel हो जाता हैं...
तब तो माँ बाप को कोई दुख नहीं होता
तब तो बड़ा फक्र होता हैं मेरा बेटा abroad मे sattle हैं।
किंतु बहु के मामले मे बात दूरी की नहीं आती
Ego की आती हैं...
हां if एक स्त्री माँ बाप की property का हिस्सा मांग रही हैं... माँ बाप को माँ बाप के घर से ही निकालने की कोशिश करती है तब वह गलत हैं..
बेटे को माँ बाप के लिए कुछ करने से रोकती हैं तो वह ग़लत हैं...
किंतु सांस के torture के वजह से ..
अपने जीवन में शांति और सुकूँ के लिए यदि ऐसा करती हैं तो वह ग़लत नहीं है..
ग़लत वह तब हैं जब वह किसी के साथ ग़लत कर रही हैं..
यदि वह अपने सही के लिए कुछ कदम उठाती हैं तो वह ग़लत नहीं हैं...
सुकूँ से जीवन जीने का अधिकार सबका हैं
यह नहीं की पराए घर से आई हैं तो आप अपने घर की उसे बंदिनी बना के रखेंगे..
एक स्त्री का जो भी अधिकार हैं
उसका जो भी अधिकार हैं उसके अपने पति पर हैं
और जो पति कमाता हैं उस पर...
क्योंकि उसी के लिए वह अपना घर छोड़ आई हैं... और उसी के बच्चे को वो पाल रही हैं या पालेगी...
माता पिता की संपति उनकी अपनी कमाई हैं
और उनकी संपति से ना उसे हिस्सा मांगने का अधिकार हैं...
और ना ही.. उन्हें बेदखल करने का...
किंतु इस तरह की महिलाएं आपको 20 to30% ही मिलेगी maximum महिलाएं जैसी की तैसी परस्थिति मे adjust करने की कोशिश करती हैं
कम से कम मैं जितना देखती हूँ
क्योंकि एक स्त्री प्राकृतिक रूप से स्वेदंशील होती हैं..
और उसके लिए उसकी असल संपदा उसके पति का प्रेम ही होता हैं...
और अक्सर एक लड़की के लिए ससुराल मे अधिक मुश्किल तब हो जाता हैं...
जब पति भी उसे नहीं समझता या उसका साथ नहीं देता..
तब यदि अपने mantle peace के लिए अलग होना चाहती हैं...
तो वहा वो गलत नहीं हैं..
क्योंकि घर की महिला का peaceful रहना बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि उसे अपने बच्चे को भी एक peaceful जीवन देना होता हैं
बाकी किसी को इसकी पड़ी नहीं होती..
हाँ मैं समझती हूँ एक लड़की जब बहुँ बन आपके
घर आती हैं तो उसकी भी कई ज़िम्मेदारी होती हैं
किंतु प्रश्न आपको अपने आपसे पूछने की ज़रूरत हैं के क्या आपने अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभा ली?
क्या आपने उसे वह enviroment दिया हैं
जिसमें वह अपनी ज़िम्मेदारी बखूभी निभा सके!?
हम बहने इस बात को लेकर अक्सर बहुत संवेदनशील रहते हैं..
एक लड़की अपना घर छोड़ के आपके घर आई हैं
हम उसे maximum खुश रखने की कोशिश करते हैं..
इस पर भाई कई बार टिप्पणी करता हैं..
मेरी तो कोई इज्जत ही नहीं 😂😂..
कोई कदर ही नहीं हैं 😂😂
सब उसके लिए मेरे को कोई कुछ नहीं कुछ नहीं करता मुझे कोई कुछ नही देता.... ।
ये सच्ची बात हैं के अगर भाई और उसमें कभी कोई झगडा हो जाता हैं और उसका मन खराब हो जाता हैं वह उदास हो जाती हैं, सच हम सबका मन ख़राब हो जाता हैं.. हमें भी ज़रा भी अच्छा नहीं लगता।
माँ का भी मन ख़राब हो जाता हैं..
माँ भाई को डांटती भी हैं।
एक लड़की जब अपने माता पिता से दूर हैं..
एक पति भी उसका साथ ना दे उस पर क्या बित्ति होगी..
नहीं मैं यह नहीं कह रही के उसकी ग़लत बातों मे भी उसका साथ दे दे..
नहीं मग़र यदि वह ग़लत भी हैं तो उसे प्यार से भी समझाया जा सकता हैं... बेवजह गुस्सा करने की जगह..।
मैं समझती हूँ बेवजह किसी स्त्री का आपको दिल नहीं दुखाना चाहिए..
वो मेरा भाई हो या पिता... आप कमा के ला रहे हैं तो..
वो भी कोई घर में आराम नहीं कर रही..
आपके बच्चे युही नहीं बड़े हो जाते..आप वहा पैसा कमा के लाते हैं तो पैसें को रोटी में तब्दील करने का काम वो करती हैं..
आप पैसा तो नहीं खा सकते ना..
आप वहा अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं तो sleeping hours के अलावा 24×7 वो घर मे duty निभाती हैं... बिना छुट्टी के...
हालाँकि मुझे ख़ुशी होती हैं इस बात की..
जब भाभी कहती हैं नहीं आपका भाई मुझे काम में तो बहुत help करता हैं..
बस गुस्सा थोड़ा ज्यादा हैं इनका...
वो तो मुझे पता हैं !
खैर... कल की तो मैं नहीं कह सकती
क्योंकि relationship कोई हो it needs constant efforts... from both the ends to succeed or to maintain the balance.
and मुझे ख़ुशी होतीं हैं..
जब लोग ऐसा कहते हैं बहु आई हैं नाथ भाई साब के घर की...
मुझे ख़ुशी होती हैं 😊.. .
उसकी प्रशंशा हमारी प्रशंशा एक ही हुई ना..
कई बार जिन्हें पता नहीं होता वे उसे घर की बेटी समझ लेते हैं... hospital में admit होती हैं तो..
वो बच्चे की तरह माँ के काँधे पर सिर रख बैठ जाती हैं.. 😊 यह दृश्य देख मुझे सच इतनी ख़ुशी होती है मैं क्या बताऊँ...
कुछ कमियाँ मेरे भाभी में भी हैं,
कुछ कमियाँ मेरी माँ में भी हैं...
और कुछ कमियाँ मुझमें भी हैं...
किंतु एक दूजे की कमियाँ देख एक साथ आपस में जी तो नहीं सकते...
कोई भी रिश्तें में..
रिश्ता कोई भी हो, पहली शर्त..
एक दूजे को एक दूजे की कमी के साथ स्वीकारना हैं..
वरना रिश्ता निभाना बहुत मुश्किल हो जाएगा..
हमें दूजे की कमियाँ खलेगी और अपनी कमी दिखेगी नहीं..
और इस तरह से रिश्तें हम नहीं जी सकते...
इसीलिए ही पहले दिन ही जब भाभी घर पे आई मैंने पहली बात उन्हें यही समझाई...
देखो जो बड़े होते हैं ना हम उनसे लड़ नहीं सकते
क्योंकि वे उमर के एक पढाव को पार कर चुके हैं जहां हम उन्हें बदल नहीं सकते... और क्योंकि वो जिस जमाने मे जनमे, जिस जमाने में उन्होंने जीवन जिया उनके जीवन और हमारे जीवन में बहुत बड़ा फ़ासला हैं
वे तो बदल नहीं सकते तो हमें ही कुछ चीजों के प्रति अपनी acceptance को बढाना पड़ेगा,
अगर मेरी माँ की कोई बात तुम्हें बुरी लगे तो उन्हें माफ़ कर देना...
हालाँकि जब कहीं माँ ग़लत होती हम माँ को समझाते...
और कहीं यदि भाभी की गलती होती हम सहज उसकी गलती नहीं बताते... क्योंकि वह दूसरे घर की लड़की हैं..
उसके साथ हमें बहुत स्वेदशीलता से पेश आना होगा..
माँ को कोई बात बुरी लगी तो वो रूठेगी फ़िर मान जाएगी...
किंतु इन रिश्तों में दोनों ही पक्ष को बड़ी सावधानी रखनी पड़ती हैं...
जो रिश्तों की डोर खून से नहीं बंधी होती हैं... ।
कई कई जगह mummy ग़लत होती हैं मैं जानती हूँ..
क्योंकि थोड़ा ग़ुस्सा कर देती हैं..
पर वह उस पर ही नहीं ठीक हम पर भी mummy ऐसे ही गुस्सा करती हैं...
मग़र फ़िर कई बार उसके खानें पीने और कई मामलों में उसका बहुत ध्यान भी रखती हैं...
माँ की खूबी के लिए माँ को
धन्यवाद और भाभी की खूबी के लिए उनको धन्यवाद..
बस.. महज़ एक दूसरे के प्रति आभार और स्वीकार होने भर से ही तो रिश्तें सहज हो जाते हैं।
खामियां तो बनी रहेंगी..
खामियां गिनते बैठेंगे तो... सहज रिश्तें भी कठिन हो जाएंगे...
इसीलिए किसी को बदलने की कोशिश किए बिना हमें अपनी कमियों पर काम करना चाहिए..
और दूजे को as it is accept करने की कोशिश सदेव करते रहनी चाहिए..
जब तक कोई किसी का नुकसान नहीं कर रहा..
why we need to control somebody!?
सांस हो या बहु।
नन्द हो या भाभी... ।
हर व्यक्ति को दूसरे को दोषी ठेहरा ने के बजाय अपनी गलती की ज़िम्मेदारी स्वयम लेनी चाहिए
और एक दूसरे को ख़ुशी देने की कोशिश करते रहनी चाहिए...
और रिश्ता द्विपक्षीय चीज़ हैं.. महज़ एक के.. प्रयत्न से इसे सफ़ल व सहज बनाना कठिन हैं.. फ़िर रिश्ता चाहें जो कोई हो।
20.2.2024
© D💗L