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मोती हो,तो पत्थरों से क्यों खेलना?
आज जब मैंने मेरे जीवन की थैली को टटोला, सहसा मुझे ग्यात हुआ कि यह तो भिन्न-भिन्न पत्थरों से पूर्ण है|कुछ बडे तो कुछ छोटे तथा नाना रंग से परिपूर्ण ऐसे पत्थरों से मेरी जिंदगी भरी पड़ी है |इनमें वो भी शामिल हैं जिन्होंने अपने प्रहार से मुझमें गहरे घाँव किए हैं और वे भी जो मेरे हर्ष में साथीदार बने हैं |

स्वर्ण जैसे परिवारवाले तथा गुरुजन तो मेरे संग थे ही जिन्होंने न केवल मेरे जीवन को सजाया, सँवारा बल्कि जीने का अर्थ भी भली-भाँती समझाया |मैं तो बस मेरी जिंदगी में असंख्य लोगों को जमा करती आ रही हूँ जिन्हें मैं अपना सुह्रूद कहला सकूँ |इसी प्रयास में आज मेरे जीवन की थैली पत्थरों से भरी पड़ी है |हाँ ,केवल पत्थर !

मैं मेरी जिंदगी की थैली को बस निहार ही रही थी कि तभी एक तीव्र रोशनी ने मेरी आँखों में प्रवेश किया | ये चमक मेरी उस थैली से आ रही थी जो केवल पत्थरों से भरी हुई थी|आश्चर्यता में मैं थैली की ओर बढ़ी और अनायास ही एक-एक पत्थर को निकालती हुई रोशनी के स्त्रोत को खोजने लगी |थैली आधी खाली होने पर मुझे जो दिखा वो मेरी विचारशीलता से परे था |एक चमकीला, विभिन्न रंगों से पूर्ण मोती था |इसी मोती के कारण मेरी संपूर्ण थैली चमक उठी थी |

यह वही मोती था जो मैंने दो साल पहले अन्य पत्थरों के भाँती मेरी जिंदगी के थैले में डाला था |इसमें कोई संकोच नहीं कि यही मेरा सच्चा स्नेही, सुह्रुद, दोस्त था जो अपनी रोशनी से नित्य मेरे जीवन को प्रकाशमय कर रहा था|भलेही मैंने इसकी खोज में थैली पूर्ण से अपूर्ण कि हो लेकिन ऐसे प्रिय व्यक्ति के लिए तो संपूर्ण थैली खाली कर दूँ|हर्ष इस बात का है कि ऐसे अमूल्य मोती को मैंने परखा और वह भी झोली फटकर उसके कही खो जाने से पहले |

सीख :-जीवन में यह माइने नहीं रखता कि आपके कितने दोस्त हैं बल्कि यह रखता है कि उनमें से कितने सच्चे तथा भरोसेमंद हैं क्योंकि ऐसे ही दोस्तों से दीर्घकाल तक रहने वाली खुशी का उदगम होता है|

~G. Neha#drmr