...

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हाँ हूँ मैं "पागल"
आज मैं आपको एक सच बताऊ तो कहीं आप भी ना मुझे पागल समझ बैठे ।
क्योकी मैंने देखा हैं कि अधिक्तर लोग ,
उन लोगो को पागल ही समझते हैं ।जो लोग दुसरो से फालतू मतलब नहीं रखते हैं।
मैं बताऊ तो ये दुनियाँ उन लोगो को मतलबी या फिर घमंडी या पागल ही समझती हैं।
सच कहूँ तो ये पागलपन मुझमे भी हैं ।मुझे अच्छा लगता हैं । इस पागलपन में रहना ।
किसी को जो कहना हैं कहों पर मैं तो बस ये ही कहूँगी कि हाँ हूँ मैं "पागल"।
जो मुझे ऐसा बोलते हैं। तो मैं उनके लिए भी कुछ कहना चाहती हूँ।

मेरी जिंदगी किसी की मोहताज़ नही।।
जब वो मेरी ही नहीं सुनती.....
तो दुनियाँ की क्या ख़ाक सुनेगी ।।

मैंने देखा हैं कि जो लोग खुद को बडा समझदार मानते हैं । और वो जिन लोगो के सामने अपनी समझदारी दिखाते हैं।
फिर वो ही उनकी पीठ पीछे उनकी खिल्लियाँ उडाते हैं।
तो ऐसी समझदारी से तो नासमझ ही बेहतर हैं।