उफ्फ जला दो अरमान को सुलझा दो अरमान को
तेरे गठीले बदन
की कसावट में
भीगा तेरा बदन
उफ्फ यूं
आग सी लगाता है
तेरे पैरो से पिला
दे जाम डूबा कर
पैरों को घोल दे
नशा इसमें भरपूर
करदे पिला कर
मुझे अपनी बाहों में
चूर चूर बस बनाले
इस गुलाम को अपना
रात का घुड़सवार
जो करवाए घुड़सवारी
तुझे सारी रात
बाहों में भरकर
आंहों से आँहें मिलाकर
मेरे सीने में अपने चेहरे
को छिपा कर
करती तू शैतानी
बड़ी ये लाल सुर्ख
होठ तेरे देख मन
में मेरे बेचैनी उठती बड़ी
अब इस गुलाम को तू
राजा बना बैठी अपने पैरो
से उठाकर अपने सीने
से लगाया जैसे कोई
खूबसूरत हार कोई
चमक तेरी आंखों में
दिखी तू बन गई अब
रात मेरी साथ देती
मेरे हर इशारे पर
करती कुछ शैतानी
मेरे कानो में फुस फुस करके
तुझे अब बारी
शहजादे की है महल
का द्वार तो खोल
बिना आहट के
शहजादा तेरे महल में
घुस गया और पूरी
रात उसमे विश्राम किया
तूने मुझे गले से लगाया
और बोली तू मुझसे
ओ मेरे पिया क्यों लूट
लिया आज तुमने
मेरा जिया
© CadBoi