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देश हमारा, राज्य हमारा,समाज हमारा, लोग हमारे--- फिर भी देश की बेटी सुरक्षित नहीं!!!?
माना छोटे कपड़ों ने बदल दी नियत तुम्हारी, हवस की भूख तुम्हें नहीं रोक पाई।
२ महीने की बच्ची जो सिर्फ मां का आंचल समझाती, सोचकर क्या तुमने हवस की भूख उस पर मिटाई।
हैवानों ने ऐसी दरिंदगी दिखाई, रिश्तों ने तक इस पर मात खाई।
घर, अस्पताल, पुलिस चौकी, धार्मिक स्थलों में तक अब लड़कियां सुरक्षित नहीं, ओर क्या अब तुमने कसर छोड़ी।
राह चलती लड़की अब सुरक्षित नहीं, क्यो तुमने ऐसी सोच बनाई।
समाज ने गलती फिर भी लड़की की बताई, कहा देर रात अंधेरे घूम क्यूं रहीं।
दिनदहाड़े सड़कों से लड़कियां गायब हो जाती हैं।।
फिर अखबार की Headline पर खबर आती है, जिस्म से खेलकर उसकी रूह को भी जला दिया गया(P. Reddy)
सुनकर यह खबर लोगों में गुस्सा भर देती है
गुनेहगारो को सजा बाद में और वकील पहले मिल जाते है।
ऐसे तो हमारे देश में नियम-कानून चलते हैं,
देखकर यह नियम-कानून ख़ून खोलता है।
एक-दो हफ्ते खूब शोर-शराबा होता है Hang_The_Rapist
वकील फिर दोशी को सुरक्षित बाहर निकालने का वादा करता है।
समाज फिर ठंडा पड़ जाता है।
मां ही जानती है, इंसाफ मांगते-मांगते 7 साल कैसे गुजरे (Nirbhaya)!
पाल- पोसकर बड़ा एक औरत ने ही किया तुम्हें, यह सोचे बिना....
हैवानियत फिर तुमने दिखाई।
फिर से नए किस्से आए फिर वही बात, आज इ़क लड़की फिर हवस का शिकार हुई।
न्यायालय में इंसाफ समय पर मिल जाता, हवस का नाम सुनते ही हैवानों में खोफ छा जाता।
देखकर यह हैवानियत देश में, आज फिर इंसानियत पर शर्म आई।
फिर भी एक उम्मीद सी है छाई...
"न्याय" ऐसा हो कि आगे से अपहरण ना हो पाए कभी।
#WritcoQuote #writco #justice