निक्कू chapter no.10
ओर सुनाओ निक्कू कुछ अपने बाड़े मैं,तुम अपने क्लास मैं तो सबसे खूबसूरत और प्यारी लड़की होगी जब तुम स्कूल मे पढ़ती थी,प्यारी तो मुझे भी लगती हो,वेसे मेरे क्लास मैं भी खूबसूरत लड़की बहोत थी जैसे कि अनामिका,इशिका,पर मेरी निक्कू बहोत प्यारी थी,तुम बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह लगती हो निक्कू ओर ये सच भी था निक्कू पहली लड़की थी जो मुझे एक छोटे मासूम बच्चे की तरह लगती थी,मासुमयत पूरा झलकती थी उसके चेहरे पर आज भी उन दिनों को जब भी याद करता हु तो मन मैं एक ही ख्याल आता है क्या वो दिन फिर से नही लौट सकते ,पर हक़ीक़त तो यही है जिंदगी की नही ,नही लौट सकती तो मन मे एक ओर सवाल आता है मेरे ,क्या निक्कू मेरे जीवन की हिस्सा बनेगी वो तो मुझे नही पता,पर कभी कभी मैं भी सोचता आखिर मैं भी तो इंसान हु मेरे मन मैं भी निक्कू के बाड़े मैं बहोत ख्याल है जो कि निक्कू को मैं आज तक बता नही सका मेरा भी मन होता था कि मेरी ओर निक्कू की एक मुलाक़ात हो वो सुबह तो हो पर साम न हो,मैं चाहता था कि जब हम मिले तो मिले नही बल्कि उस मुलाक़ात मैं बात कुछ और निक्कू आकर कह दे मुझे अब चलो मेरे साथ ,अब मेरे साथ ही रहना क्योंकि अब तुम मेरे हो,काश मेरे मैं इतनी हिम्मत आ जाये कि खुल कर निक्कू को बोल सकू आज भले ही मेरी आवाज मैं ठहराव है,एक घबराहट है,पर काश मेरे मैं इतनी हिम्मत आ जाये मैं उसे बोल पाउ की ये मेरी मुस्कुराहट...